भैरुगढ़। पाकिस्तान सरकार में एकमात्र हिंदू जनप्रतिनिधि के रूप में रेल उपमंत्री रहे लक्ष्मण सिंह सोढ़ा। पाकिस्तान के छाछरा ठिकाने के(हाल बोखानाडा, बाली) ठाकुर साहब लक्ष्मणसिंह सोढा, पूर्व रेल उपमंत्री (पाकिस्तान) के छोटे भाई छतरसिंह सोढा के पौत्र एवं भूपतसिंह सोढा के ज्येष्ठ पुत्र रोहिताश्व सिंह सोढा की शादी – भैरुगढ़ में जबरसिंह भैरुगढ़ की सुपुत्री के साथ संपन्न हुई।
इस दौरान शादी के पवित्र बंधन में बंधे जोड़े को सभी ने विवाह की हार्दिक बधाई,शुभकामनाएं प्रदान की।
इस अवसर पर भैरूगढ़ ठा. विक्रम सिंह,रोहुआ ठा. कृष्णवीर सिंह,जोलपुर ठा. देवेंद्रसिंह,निम्बज ठा. मोहन सिंह,भटाना कुँवर सौभाग्यसिंह, वकील कैलाश सिंह,मोरिया ठा. मांगूसिंह जोधा,बाला ठा. गोरधनसिंह जोधा,पूर्व ठा.लक्ष्मण सिंह सोढा(पूर्व रेल उपमंत्री पाकिस्तान) के पुत्र ठा.किशोरसिंह एवं भवानीसिंह सोढा,जयवर्धन सिंह सोढा, बोया से दिग्विजयसिंह राणावत, खुशवीरसिंह चौहान,विक्रम सिंह देवल,पंचायत समिति सदस्य एवं तख्तसिंह,हीरसिंह बीका जेतावाड़ा, पुष्पेन्द्र सिंह बीका जेतावाड़ा, विक्रम सिंह बीका,,यूथ कांग्रेस विधानसभा महासचिव दिग्विजयसिंह बीका सहित कई बंधु उपस्थित रहे।
पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह सोढा की अंतिम इच्छा कसाब को फांसी दिलाना थी, फांसी की खबर सुनने के बाद ही उन्होंने अपना शरीर छोड़ा
भारत-पाक विभाजन के बाद पाकिस्तान सरकार में एकमात्र हिंदू जनप्रतिनिधि के रूप में रेल उपमंत्री रहे लक्ष्मण सिंह सोढ़ा भी मानो कसाब की फांसी की खबर सुनने का इंतजार ही कर रहे थे। उन्हें कसाब को फांसी की खबर मिली और उसी शाम 4 बजे उन्होंने जिंदगी को अलविदा कह दिया।
वे 1971 में पाकिस्तान छोड़ने के बाद से ही जिले के बाली कस्बे में रह रहे थे। उन्होंने कई बार मुंबई बम कांड के आरोपी कसाब को फांसी देने की मांग उठाई थी। वे इसे अपनी अंतिम इच्छा बताते थे। अक्सर कहते थे कि कसाब को फांसी उनके जीवनकाल में लगनी चाहिए।
चार साल रहे रेल उपमंत्री
पाकिस्तान सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अयूब के कार्यकाल में 1962 से लेकर 1966 तक रेल उपमंत्री के रूप में सेवाएं देने वाले सोढा पाक के प्रमुख नेता जुल्फिकार अली भुट्टो के बेहद करीबी माने जाते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व बेनजीर भुट्टो को उन्होंने अपनी गोद में खिलाया था। बेनजीर की पाक चुनाव के दौरान आतंकी हमले से मौत के बाद वे बाली में फूट-फूटकर रोये थे।
वर्ष 1969 में भारत-पाक के बीच संबंध खराब होने तथा युद्ध के हालात बनने के बाद उनको पाक सरकार ने जासूस ठहराते हुए गिरफ्तार कर लिया था। दो माह तक मार्शल ला में जेल में रहने के बाद वे भारत-पाक में छिड़े युद्ध को देखते हुए 8 फरवरी 1971 में भारत आ गए थे।