पादर। आखिर बच्चें बिना रोशनी कैसे पढ़ें, कैसे अंधेरे में खाना बनाए, साहब! आखिर हम कैसे ड़ेंगू जैसी बीमारियों से बचें?
आजादी के 74 वर्ष बाद भी मैथीपुरा गांव में गरासिया अनुसूचित जनजाति के कई परिवारों को अभी तक घरेलू विद्युत कनेक्शन नहीं मिल पाया हैं। वो कहते साहब! आप ही बताओ अंधेरे में कैसे खाना बनाए, कैसे बच्चें पढाई करें? इस संबंध में विद्युत विभाग के एईएन लव कुमार से बात करने पर उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ समय में इनकी समस्या का समाधान हो सकता हैं।
सरकार नई योजना लेकर आ रही हैं। शिविर में आई गरासिया जनजाति की महिलाओं ने बिजली के कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर अपने दर्द को अपनी भाषा में बताया कि साहब! आप लोग तो रात में दूधिया रोशनी में खाना बनाते है एवं खाना खाते हैं। आपके बच्चें दूधिया रोशनी में अच्छी पढ़ाई करते हैं।
साहब! अब आप ही बताओ हम रात को अंधेरे में कैसे खाना बनाए, कैसे हमारे बच्चें बिना रोशनी पढ़ाई करें। हमें तो रात को मच्छर भी खूब काटते है, साहब! अब हम ड़ेंगू से भी कैसे बचें? सरकार को चाहिए कि आजादी के 74 वर्षों बाद, अब तो हमें रोशनी का हक दो। ताकि हमारे भी बच्चें रोशनी में अच्छी पढ़ाई कर सकें। हम भी ड़ेंगू से बच सकें, हम भी अच्छी जिंदगी जी सकें। सरकार के संवेदनशील लोकसेवक जरा हमारी भी सुनवाई कर दो।