कुषमा। नमन है उस सच्चे हिंदुस्तानी, महान वैज्ञानिक, सन्त, महामहिम राष्ट्रपति को जो अपनी सूटकेस में हमेशा दो जोड़ी कपड़े एवं किताबें ही रखता था।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय कुषमा में मिसाइल मैन, भारत रत्न, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब की जन्म जयंती आज नन्हे-मुन्ने छात्रों के बीच उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन कर मनाई गई।
इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मफतलाल बुनकर ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब की जीवनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अब्दुल कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को देश के प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल पंबन द्वीप (रामेश्वरम) में एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था। पिता जैनुलाब्दीन एक फेरी (नौका) के मालिक थे। वे रामेश्वरम और धनुषकोडी के बीच पर्यटकों को सैर करवाते थे। साथ ही स्थानीय मस्जिद में इमाम के रूप में भी कार्यरत थे। कलाम साहब की माँ अशिअम्मा एक सामान्य हाउस वाइफ थीं।
अब्दुल कलाम साहब चार भाइयों एवं एक बहन में सबसे छोटे थे, इसलिए सभी उन्हें बहुत प्यार करते थे। अब्दुल कलाम जी ने देश के नौजवानो के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए तथा भ्रष्टाचार के विरुद्ध उन्होंने -व्हाट केन आई गिव- की शुरुआत की थी। डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम साहब के बच्चों के प्रति खास लगाव को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिवस को विश्व विद्यार्थी दिवस भी मनाने का फैसला लिया। इस अवसर पर समाजसेवी दिनेश कुमार पंचाल, परेश पंचाल, विद्यालय के अध्यापक मुकेश डाबी व छात्र-छात्रा उपस्थित थे।