सिरोही। ग्रामीण बेरोजगारों के पलायन को रोकने में बन सकती है मददगार। किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक सफल प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट के रुप में राजस्थान राज्य के एक आदिवासी बाहुल्य जिले सिरोही में जिला कलक्टर भगवती प्रसाद के नेतृत्व में वर्ष 2020 में प्रारम्भ किया गया, जिसे माटी परियोजना के नाम से जाना जाता है।
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माटी परियोजना एक ऐसा मॅाडल प्रस्तुत करती है, जिसे बेहद सरलता से कुछ स्थानीय घटकों के समावेश के साथ पूरे राष्ट्र में लागू किया जा सकता है व ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को पलायन से रोका जा सकता है।
माटी परियोजना का मूल विचार इस साधारण समझ पर आधारित है कि किसान को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए जहां एक तरफ अपने खेती कार्यों को अधिक उत्पादक बनाना होगा वहीं दूसरी ओर उसे अपने पूरे परिवार के लिए हर रोज पर्याप्त कार्य पाने के लिए खेती के साथ अन्य उत्पादक कार्यों का समावेश करना होगा।
माटी परियोजना के प्रत्येक चयनित किसान परिवार की एक फाईल तैयार की गई। जिसमें उसके समस्त संसाधनों को दर्ज किया गया व उसके खेत का एक नजरी नक्शा बनाया गया। मिट्टी व पानी की जांच कराकर उसकी रिपोर्ट संधारित की गई, घर की वर्तमान आमदनी, उनके स्रोत व घर में उपलब्ध कार्य बल (वर्क फोर्स) के विवरण दर्ज किये गये। अब विशेषज्ञों की एक तकनीकी टीम ने उस चयनित किसान का फार्म प्लान तैयार किया, इस फार्म प्लान में किसान द्वारा खेती व पशुपालन में की जा रही तकनीकी गलतियों में सुधार की सिफारिशें दर्ज की गई ताकि बिना किसी अतिरिक्त खर्च के उत्पादकता व आमदनी बढ़ाई जा सके एवं किसान को वो नवाचार फसलों व आधुनिक संसाधनों को अपनाने की सलाह दर्ज की गई, जिससे खेती को आधुनिक बनाकर आमदनी में इजाफा कर सके।
माटी परियोजना में, एक वर्ष में, चयनित किसानों की कुल आमदनी में औसत बढ़ोतरी 41 प्रतिशत दर्ज की गई जबकि गैर चयनित किसानों की औसत बढ़ोतरी मात्र 1 प्रतिशत दर्ज की गई। इससे यह साफ है कि व्यक्तिगत स्तर पर योजनाबद्ध मार्गदर्शन बेहद प्रभावी है। आमदनी में सर्वाधिक वृद्धि पशुपालन में (76 प्रतिशत), उद्यान में (65 प्रतिशत) व खेती में (13 प्रतिशत) रही । इससे स्पष्ट है कि पशुपालन व उद्यान में आमदनी की बड़ोतरी की विपुल संभावनायें हैं।
माटी परियोजना के प्रयोग से देश के कुल 6 लाख गांवों तक सलाहकार सेवाओं के विकास के लिए माटी परियोजना माॅडल का उपयोग किया जा सकता है। गांव में पोस्ट हार्वेस्टइन्डस्ट्रीव एग्रो बेस्ड इन्डस्ट्री का विकास, कृषि तकनीकी संसाधनों के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही कृषि आदान उत्पादन ईकाईयों का विकास हो सकेगा।
देश में कृषि आदानों यथा गुणवत्तापूर्ण बीज, पौध, जैविक आदान व अच्छी ब्रीड के पशु इत्यादि की भारी कमी है। शिक्षित युवा गांवो में नर्सरी, सीड प्लांट व ब्रीडिंग सैन्टर आदि खोलकर ना केवल अन्य बेरोजगार युवाओं को रोजगार दे सकते हैं बल्कि देश की इस कमी की पूर्ति भी कर सकते हैं।