जयपुर। तहसीलदार से सेटिंग कर फ़र्ज़ी निर्णय व राजनीतिक प्रभाव से रास्ते का अंकन जमाबंदी व भू-नक्शे में दिनांक 28 फरवरी को एक ही दिन में नामान्तकरण भरवाकर ,प्रभारी गिरदावर की गैर मौजूदगी में अन्य गिरदावर को एक दिन का चार्ज देकर सैम डे नामान्तरण तस्दीक कर दिया।
आज डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष डॉ सुनील शर्मा ने बताया कि राजधानी जयपुर के मिनी सचिवालय स्थित न्यायालय अतिरिक्त सभागीय आयुक्त जयपुर के रीडर मुकेश कुमार ने अदालत में विचारधीन एडवोकेट सीताराम कुमावत साम्भर लेक (जयपुर कलेक्ट्रेट) की प्रस्तुत पत्रावली ग्राम धींगपुर दांतारामगढ़ की अपील संख्या11//21 कमला देवी बनाम तहसीलदार दांतारामगढ़ की रास्ते बाबत अपील में मौका रिपोर्ट तलबी की स्टेज पर चल रहे प्रकरण में तारीख पेशी में कांट-छांट कर फ़र्ज़ी अंतिम निर्णय तैयार कर प्रमाणित नकल जारी कर रिश्वतखोरी की पराकाष्ठा को अंतिम परिणाम दिया।
मुकदमा में मौका रिपोर्ट तलब होनी थी जिस हेतु 24 जनवरी 2022 से 28 फरवरी 2022 की डेट दी गईं, जो GCMS पोर्टल पर भी दर्शित हैं। कॉज़ लिस्ट व कोर्ट ऑर्डर शीट में 28 को काट कर 08 कर दिया और 08 फ़रवरी की डेट मे बिना बहस की डेट मुकर्रर हुए बिना ही एवम एडवोकेट सीताराम कुमावत की बिना उपस्थिति के व बिना बहस के फ़र्ज़ी अंतिम निर्णय टाइप कर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त के हस्ताक्षर व न्यायालय की मुद्रा से प्रमाणित प्रतिलिपि बनाकर विपक्षी पार्टी को दे दी। विपक्षी ने मौके पर रास्ता नही होने के बाद भी तहसीलदार से सेटिंग कर फ़र्ज़ी निर्णय व राजनीतिक प्रभाव से रास्ते का अंकन जमाबंदी व भू नक्शे में दिनांक 28फरवरी को एक ही दिन में नामान्तकरण भरवाकर ,प्रभारी गिरदावर की गैर मौजूदगी में अन्य गिरदावर को एक दिन का चार्ज देकर सैम डे नामान्तरण तस्दीक कर दिया।
इस तथ्य से एडवोकेट सीताराम कुमावत सांभर लेक ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त को 28 फ़रवरी अवगत कराकर ऑर्डर शीट की व ऐसे आर्डर की नकल चाही तो यह कहते हुये नक़ल नही दी कि अपील को रेवेन्यू बोर्ड ने तलब कर लिया इसलिये नकल नही दे सकते। तब अधिवक्ता कुमावत ने निर्णय रजिस्टर, कॉज लिस्ट, नकल रजिस्टर, डिस्पेच रजिस्टर की नकल हेतु आवेदन किया तो रीडर का सह कर्मचारी राजस्व लिपिक अरुण गर्ग भरतपुरिया ने सभी रजिस्टर कम्प्लीट नही होने का बहाना बनाकर एडवोकेट व पक्षकार को नकल भी नही दे रहे है जबकि इसी तरीके के सैकड़ों मुकदमे इस न्यायालय में फर्जीवाड़ा करके उनके जजमेंट किए जा चुके हैं।
इस खेल में रीडर सहित व. लिपिक अरुण की मजबूत संदिग्ध स्थिति प्रकट हैं।
रिश्वतखोरी के कर्म को छिपाने के लिए नकल तक नही दी जा रही जबकि इस मामले को आज दिन तक दबाने का प्रयास किया जा रहा था। डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट बार का लगातार विरोध के बाद इस मामले में एफआईआर कराने के आदेश दिए गए और कमेटी का गठन लगातार इस मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हमारी मांग है कि इस मामले में जो भी सैकड़ों निर्णय किए गए हैं उस की सीबीआई से जांच की जानी चाहिए या हाईकोर्ट जज से इस फर्जीवाड़े की जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही इस मामले में आज वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त से मिलकर के इस फर्जीवाड़े के मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग की है अन्यथा वकील समुदाय आंदोलन करेगा।
डॉ सुनील शर्मा अध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बार जयपुर