सिरोही। जो मजलूमों को सताते है, जो दंगों को भड़काते है, जो नफरत को फैलाते है, घरों में आग लगाते है, बसा ले दिल में चाहें राम या सीनों में रखें इस्लाम, वो हिंदुस्तान छोड़ दे! यहाँ हर बेटी सीता है, यहाँ हर बेटी राधा हैं। यहाँ हर बेटी मरियम है, यहाँ हर बेटी सलमा हैं। यहाँ जो लूटें इनकी लाज, मौलाना हो या महाराज, वो हिंदुस्तान छोड़ दे!

मारवाडी भाषा को कभी भूलना मत और न अपनी संतान को भूलने देना। उन्होंने बताया कि गांव में जब एक बुजुर्ग का देहान्त होता है तो एक व्यक्ति नहीं एक धोती कम होती है ठीक वैसे ही यदि आप अपनी मातृभाषा छोडकर अन्य भाषा में ही बातें करेंगे तो अपनी भाषा धीरे धीरे लुप्त हो जायेगी। उन्होंने सिरोही की स्थानीय बोली की अन्य भाषाओं से तुलना कर उपस्थित जन समुदाय को बहुत गुदगुदाया।

सिरोही के दशहरा मैदान पर सिरोही शहर के 598 वें स्थापना दिवस पर आयोजित प्रथम सिरोही महोत्सव के अंतिम दिवस पर रात्रि को विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।

सिरोही स्थापना दिवस पर आयोजित कवि सम्मेलन को शहर वासियों द्वारा बहुत ही सराहा गया एवं कार्यक्रम रात करीब सवा दो बजे तक चला और जनता ने सभी कवियों को पूरी तन्मयता से सुना। इसमें सिरोही के धरती पुत्र कवि शैलेश लोढा ने पहले जीवन कैसे जीया’ जाता था उसका विस्तार से वर्णन कविता के माध्यम से सुनाकर सबकी पुरानी यादों को ताजा कर जनता के दिल को जीत कर खूब-खूब तालियां बटोरी व प्यार पाया। सिरोही धरती को नमन करते हुए उन्होने पूरे मन से लम्बे समय तक कविता सुनाई और उन सभी को याद व नमन करते हुए कहा कि आज जो भी वो है वो उन सबकी बदौलत ही है। उन्होंने कहा कि वे सिरोही की भाषा व सँस्कृति को कभी भी भूल नही सकते क्योंकि इसी ने सब कुछ दिया हैं और उन्होंने माँ सरस्वती धाम अजारी व सती माता जी को वंदन करते हुए कहा कि वे इन दोनों जगह जब भी मौका आता है तो जरूर आते है और दर्शन करते है।
कवि शैलेष लोढा ने सिरोही में बिताये अपने बचपन को काव्य के रूप में स्थानीय भाषा में प्रस्तुत कर कहा कि हमारी स्थानीय बोली का अपना एक मजा हैं। दुनियां में हजारो भाषाएं है। भारत की सभी प्रादेशिक भाषाओं का जिक्र कर सबकी प्रशंसा की एवं आजकल की मांओं से आह्वान किया कि आप अपने बच्चे को भले ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में भेजे कोई गलत नहीं हैं। आपका बच्चा एक क्या दस भाषाएं सीखे कोई गम नही है लेकिन अपनी मारवाडी भाषा को कभी भूलना मत और न अपनी संतान को भूलने देना। उन्होंने बताया कि गांव में जब एक बुजुर्ग का देहान्त होता है तो एक व्यक्ति नहीं एक धोती कम होती है ठीक वैसे ही यदि आप अपनी मातृभाषा छोडकर अन्य भाषा में ही बातें करेंगे तो अपनी भाषा धीरे धीरे लुप्त हो जायेगी। उन्होंने सिरोही की स्थानीय बोली की अन्य भाषाओं से तुलना कर उपस्थित जन समुदाय को बहुत गुदगुदाया।
कवि सम्मेलन व सिरोही स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सभी आयोजनों के लिए कलक्टर डॉ भंवर लाल व उनकी टीम एवं जमीन से जुड़े विधायक संयम लोढ़ा को बधाई दी और कहा कि हम कोविड की विभीषिका को देख चुके है। हमारी आंखों ने वो मंजर देखे है जिनका जिक्र करने पर भी आंखे भर आती है। लेकिन सिरोही विधायक संयम लोढा की पहल पर जिला प्रशासन की ओर से आयोजित इस सिरोही महोत्सव ने हम सबको कोरोना के बाद पहली बार इतनी बडी तादाद में मिलने व खुशियां मनाने का मौका दिया है। इसके लिए आए सभी कवियों ने स्थानीय विधायक व जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया।

इस कवि सम्मेलन में कवयित्री भुवन मोहिनी ने कवि सममेलन की शुरूआत स्वर की देवी मां सरस्वती की वन्दना से की। कवि संजय झाला ने कवि शब्द की व्याख्या की एवं हास्य रस के माध्यम से बताया कि कवि कितने प्रकार के होते है। उन्होंने अनेक कविताएं सुनाई साथ ही मंच संचालन भी किया। कवि अशोक चारण ने देश भक्ति से ओतप्रोत भारत के तिरंगे पर अपनी कविता प्रस्तुत कर उपस्थित जन समुदाय में जोश भर दिया। चुडियों के शहर फिरोजाबाद से आये कवि हाशिम फिरोजाबादी ने गंगा जमुनी तहजीब पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर समाज में सामाजिक सौहार्द्र के साथ जीने का संदेश दिया, प्रतापगढ़ से आए प्रार्थ नवीन ने भी व्यंग्य प्रस्तुत कर सिरोही की जनता को बहुत गुदगुदाया। कवयित्री भुवन मोहिनी ने शैलेष लोढा के आग्रह पर एक बार फिर कविता पाठ किया और शृंगार रस की सुन्दर रचनाओ से प्रेम को समझाया।
इस अवसर पर विधायक संयम लोढा ने कहा कि अत्यन्त हर्ष का विषय है कि सिरोही शहर का पहली बार स्थापना दिवस मनाया गया। उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे शहर की ऐतिहासिक धरोहरों को सहेज कर रखें एवं इनके संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहें। लोढा ने कहा कि शहर का प्रत्येक नागरिक शहर की सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहरों से जुडे। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आमजन में आत्मीयता व एक -दूसरे के प्रति सहयोग की भावना पैदा करना है। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रशासन की पूरी टीम एवं आमजन को बधाई दी।

इसी क्रम में जिला कलक्टर डाॅ भंवर लाल ने सिरोही स्थापना दिवस के सफल आयोजन के लिए प्रशासन की पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि पहले प्रयास के एक असाधारण और शानदार प्रदर्शन करने के लिए पूरी टीम द्वारा उत्कृष्ट कार्य किया गया इसके लिए पूरी टीम को इसे यादगार बनाने के लिए कडी मेहनत के लिए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि सिरोही वासियो को यह कार्यक्रम पंसद आया होगा।
अति. जिला कलक्टर कालूराम खौड ने पूरे तीन दिवस में हुए कार्यक्रमों की जानकारी दी और सफल बनाने के लिए सभी को बधाई दी।
इस मौके पर अतिथियों द्वारा भामाशाहों, साफा प्रतियोगिता व अन्य प्रतियोगिताओं के विजेताओं व उपविजेताओ का सम्मान किया गया। सिरोही महोत्सव में उत्कृष्ट कार्य करने वालों के साथ-साथ उदघोषक कार्तिकेय शर्मा, दिलीप शर्मा एवं कामिनी शर्मा का सम्मान भी किया गया।
इस कवि सम्मेलन में राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज कुमार,जिला एंव सेशन न्यायाधीश विक्रांत गुप्ता, उपखंड अधिकारी रमेशचन्द्र बहेडिया, पिंडवाड़ा एसडीएम हसमुख कुमार, तहसीलदार निरजा कुमारी, नगर परिषद सभापति महेंद्र मेवाड़ा, उपसभापति जितेन्द्र सिंघी, शान्ति एवं अहिंसा समिति के जिला संयोजक राजेन्द्र सांखला, जिला स्तरीय अधिकारी, प्रतिष्ठित गणमान्य नागरिक तथा आमजन मौजूद रहे।