वरमाण/रेवदर। आज आयोजित विशेष ग्रामसभा में ग्रामीणों ने हाल ही में राज्य सरकार द्वारा खनिज बजरी पर शुरू की गई लीज के तहत बजरी ठेकेदार द्वारा वसूली जा रही अवैध राशि को लेकर रोष जताते हुए प्रस्ताव दिया।
ग्रामीणों ने कहा कि हमारे ग्राम पंचायत क्षेत्र में जो छोटे-बड़े नदी-नाले है और नदी नालों से बजरी खनन का ठेका सरकार द्वारा किसी फर्म को दिया गया है। जिससे हमारे क्षेत्र की नदी और नालों का प्राकृतिक स्वरूप खराब हो रहा है। साथ ही ठेकेदार द्वारा नदी में बजरी खनन करने से कई स्थानों पर पथरीली जमीन भी बाहर आ गई है, ऐसे में पानी का बहाव भी अवरुद्ध होने के पूरे हालात बने हुए हैं और भूमिगत जलस्तर भी गिरने की स्थिति हो रही है। जिसमें भविष्य में बड़ा संकट हो सकता हैं।लोगों को खेती के साथ-साथ पीने के पानी की भी समस्या पैदा हो सकती हैं।
ग्रामीणों द्वारा दिए गए उक्त प्रस्ताव पर ग्राम सभा में व्यापक चर्चा हुई, जिस पर सरपंच द्वारा अवगत करवाया गया कि बजरी खनन हेतु ठेकेदार द्वारा इस संबंध में ग्राम पंचायत स्तर से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं लिया गया है।
साथ ही राज्य सरकार द्वारा रेवदर तहसील क्षेत्र के नदी-नालों पर खनिज पट्टे जारी किए गए हैं। जिस पर उपस्थित ग्रामवासियों ने बजरी ठेकेदार द्वारा बजरी की राजकीय रॉयल्टी के अतिरिक्त 1600 रूपये प्रति टोली राशि अवैध रूप से वसूल किए जाने का विरोध करते हुए बताया कि बजरी प्राकृतिक संपदा है एवं बाहरी व्यक्ति द्वारा इसे मनमाने दाम पर बेचा जाना अनुचित है। जिसको लेकर राज्य सरकार को और माननीय न्यायालय को पत्र के जरिए प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया गया।
उक्त प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अनुमोदित करते हुए बजरी की अवैध दरों की वसूली के विरुद्ध प्रस्ताव बनाकर भेजने का निर्णय लिया गया। ग्रामीणों ने बताया कि बजरी पर यदि इस प्रकार की लूट जारी रही तो आम आदमी अपना आशियाना भी नहीं बना सकेगा। सरकार को इस बारे में त्वरित जनहितकारी निर्णय करना चाहिए।