जयपुर। थानों में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने के नवाचार के बाद काफी हद तक थानों का माहौल बदला है। अनिवार्य एफआईआर लागू होने के बाद कोर्ट से इस्तगासे के माध्यम से दर्ज होने वाले मामले 33 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत पर आ गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महिला सुरक्षा सखियां महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में अहम भूमिका अदा कर रही हैं। आने वाले समय में महिला सुरक्षा सखी कार्यक्रम का दायरा बढ़ाते हुए और महिलाओं व बालिकाओं को इससे जोड़ा जाएगा। उन्होंने प्रदेश में बालिकाओं को दिए जा रहे आत्मरक्षा कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी विस्तार करने की बात कही है।
गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न थानों से जुडी महिला सुरक्षा सखियों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने सुरक्षा सखियों को 10 में से 10 नम्बर देते हुए कहा कि आप सभी अपनी भूमिका बेहतर तरीके से निभा रही हैं। आपने बालिकाओं में सुरक्षा की भावना और उनमें आत्मविश्वास मजबूत करने का काम किया है। इसके लिए आप सभी बधाई की पात्र हैं।
उच्चैन, भरतपुर की महिला सखी श्रीमती मंजू ने जब मुख्यमंत्री को बताया कि वे 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे नहीं पढ़ पाई तो मुख्यमंत्री ने उन्हें आगे पढ़ने की प्रेरणा देते हुए पुलिस अधिकारियों को उनकी आगे की पढ़ाई सुनिश्चित करने में सहयोग करने के निर्देश दिए। सोड़ाला थाना क्षेत्र की महिला सखी श्रीमती टीना ने मुख्यमंत्री को बताया कि मनचलों की छेडछाड से परेशान लडकियों को पुलिस की मदद दिलाने में उन्होंने सहयोग किया तो मुख्यमंत्री ने उनकी हौंसला अफजाई की।
बांसवाड़ा की श्रीमती अंजली खरबंदा ने बताया कि किस तरह उन्होंने गैंगरेप पीडिता की मदद कर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। मुख्यमंत्री ने जब उनसे पूछा कि आपको डर नहीं लगता तो अंजली का जवाब था कि महिला सुरक्षा सखी बनने के बाद वे डर के फेज से आगे निकल चुकी हैं। अब किसी भी मामले को लेकर पुलिस के पास अप्रोच करने में किसी तरह की झिझक नहीं होती। सुरक्षा सखियों का कहना था कि इस कार्यक्रम से महिलाओं में सुरक्षा का भाव बढ़ा है। खातौली, कोटा की श्रीमती आशा नामा, भिवाडी की श्रीमती नीलम ठाकुर, पाली की सुश्री हिमांशी ने संवाद के दौरान बताया कि कैसे उन्होंने स्कूल जाने वाली बालिकाओं से छेडछाड रोकने, बाल विवाह रूकवाने और पति के अत्याचार से पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में पुलिस के सहयोग से कामयाबी हासिल की।
गहलोत से संवाद के दौरान अधिकतर महिला सखियों का सुझाव था कि महिला सखियों की बैठकें वार्ड अथवा मोहल्ले में हों तो महिलाएं अपनी पीड़ा बताने के लिए आगे आएंगी और पुलिस की मदद ले पाएंगी। इससे मनचलों एवं छेडछाड करने वालों में भी भय पैदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षा सखियों की सक्रियता से छेडछाड करने वाले मनचलों एवं महिलाओं पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने में पुलिस को काफी मदद मिली है। उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए पुलिस एवं गृह विभाग को बधाई दी। उन्होंने आगे भी इस तरह का संवाद महिला सुरक्षा सखियों के साथ कायम रखने और उनकी हौसला अफजाई करने की बात कही। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली में बदलाव को आज की जरूरत बताया और कहा कि पुलिस अधिकारी एवं पुलिसकर्मी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए महिलाओं के खिलाफ उत्पीडन व अपराध की घटनाओं पर संवेदनशीलता के साथ कार्यवाही करें। थानों में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने के नवाचार के बाद काफी हद तक थानों का माहौल बदला है। अनिवार्य एफआईआर लागू होने के बाद कोर्ट से इस्तगासे के माध्यम से दर्ज होने वाले मामले 33 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत पर आ गए हैं।
गहलोत ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध होने वाले गंभीर अपराधों के प्रभावी अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण के लिए प्रदेश के सभी जिलों में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम अगेंस्ट विमन का गठन किया गया है। इसमें एएसपी स्तर के अधिकारी को लगाया गया है। थाने में आने वाले हर फरियादी के साथ सम्मानजनक व्यवहार हो यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने थानों में स्वागत कक्ष बनाए हैं। उन्होंने एफएसएल लैब्स में फॉरेंसिक जांच का समय 15 दिन से घटकर 3 से 5 दिन होने के कारण अपराधों के अनुसंधान की गति बढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने महिला सुरक्षा सखी मार्गदर्शिका एवं महिला सुरक्षा सखी संदर्भिका पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने सुरक्षा सखियों से सुझाव भी आमंत्रित किए।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि राजीविका के विभिन्न समूहों से जुड़ी महिलाएं सुरक्षा सखियों के रूप में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध रोकने में पुलिस की मजबूत कड़ी बन सकती हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती ममता भूपेश ने कहा कि महिला सलाह एवं सुरक्षा केन्द्रों तथा वन स्टॉप सखी सेंटर के माध्यम से पीडित महिलाओं की समझाइश एवं उन्हें चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा सेतु योजना के माध्यम से 1 लाख 36 हजार महिलाओं एवं बालिकाओं को शिक्षा से जोडा गया है।
गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि अब तक 12 हजार 339 सुरक्षा सखियों का चयन किया जा चुका है। सुरक्षा सखियां पुलिस और जनता के बीच में एक ऎसा माध्यम है, जो समाज में होने वाले अपराधों के प्रति जागरूक करने एवं अपराध नियंत्रण में सेतु का काम कर रही हैं। सभी सुरक्षा सखियों को महिला हेल्प डेस्क द्वारा वॉट््स एप गु्रप से जोड़कर पुलिस के सहायक के रूप में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया साथ ही इंटरनेट पर ऑनलाइन कंटेंट के इस्तेमाल में सावधानियां बरतने की आवश्यकता जताई।
मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षित एवं भयमुक्त वातावरण प्रदान करने में महिला सुरक्षा सखियां महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सखी पुलिस थानों एवं क्षेत्र की जनता के बीच संवाद सेतु बन रही हैं।
पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर ने महिला सुरक्षा सखी कार्यक्रम के राज्य में कम्यूनिटी पुलिसिंग में बेहतर योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि सुरक्षा सखी की सक्रियता राज्य की कानून-व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने ऑनलाइन कंटेंट के बच्चों पर दुष्प्रभाव की प्रभावी निगरानी के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी।
कार्यक्रम में जनअभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष पुखराज पाराशर, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अभय कुमार, राजस्थान पुलिस अकादमी के निदेशक राजीव कुमार शर्मा, एडीजी सिविल राइट्स एण्ड एंटी हयूमन टै्रफिकिंग श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव, पुलिस मुख्यालय के अधिकारी, संभागीय आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला परिषद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उपखण्ड अधिकारी, उप अधीक्षक, उप निदेशक आईसीडीएस, सीडीपीओ, एसएचओ, ग्राम विकास अधिकारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, राजीविका से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्य, महिला सुरक्षा सखी, ग्राम रक्षक आदि भी वीसी से जुडे़।