सिरोही। निमोनिया एवं दस्त रोग के कारण होने वाली बाल मृत्यु को कम करने के लक्ष्य से सरकार ने यह योजना प्रारंभ की है। चिकित्सा विभाग द्वारा संचालित सांस कार्यक्रम के अंतर्गत शनिवार को प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. राजेश कुमार ने बताया कि पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु अन्य संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु की तुलना में काफी अधिक है। निमोनिया से होने वाली लगभग आधी मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं। इसमें इनडोर वायु प्रदूषण भी मुख्य कारक है। निमोनिया एवं दस्त रोग के कारण होने वाली बाल मृत्यु को कम करने के लक्ष्य से सरकार ने यह योजना प्रारंभ की है।
जागरूकता पैदा करना मुख्य उद्देश्य- डॉ. राजेश कुमार
निमोनिया से बच्चों की सुरक्षा के लिए पहले छह माह में शिशु को केवल स्तनपान करवाने, छह माह बाद पोषाहार देने तथा विटामिन ए की खुराक जरूरी है। निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण करवाने, साबुन से हाथ धुलवाने से घरेलू स्तर पर प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसी क्रम में सरकार की ओर से सांस अभियान शुरू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य समुदाय में जागरूकता पैदा करना है।
सांस कार्यक्रम का प्रशिक्षण जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विवेक कुमार एवं जिला प्रशिक्षण केन्द्र से सुनीता नटराजन द्वारा दिया गया।
आरसीएचओ डॉ. विवेक कुमार ने सभी को बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को निमोनिया से बचाना है। यह एक गंभीर बीमारी है। देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का सबसे बडा कारण है। इसलिए घरेलू उपचार में समय नहीं गवायां जाना चाहिए। निमोनिया के लक्षण दिखाई देने पर बच्चे को तुरंत नजदीकी राजकीय चिकित्सा केंद्र पर लेकर जाना चाहिए और चिकित्सक से उपचार करवाया जाना चाहिए। बच्चे को तेजी से जुकाम व बुखार बढने, तेजी से सांस चलने, सांस लेने में परेशानी होने, सांस लेते समय पसलियां चलना, छाती का धसना या तेज बुखार होना निमोनिया के लक्षण हैं। उन्होंने सभी को बच्चों में निमोनिया के लक्षण पहचानने साथ ही लक्षण होने पर बच्चे को किस प्रकार का उपचार दिया जाना है संबंधी प्रशिक्षण दिया गया।