मण्डार। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर क्या कहना? जब जिम्मेदार अपने स्वार्थ के लिए अवैध कार्य, अवैध अतिक्रमण को संरक्षण दे तो फिर बताओ कौनसा रास्ता बचता है?
मण्डार उपतहसील परिसर में किसी समय गांव के नेक भामाशाह ने मानव कल्याण के लिए शानदार पानी की प्याऊ बनाई थी। लेकिन उस पुण्य आत्मा के स्वर्गवास होने के बाद ना तो उनके परिवार से किसी ने प्याऊ की खैर खबर ली और नहीं उपतहसील परिसर में आकर सेवा देने वाले किसी सरकारी कारिंदे ने ध्यान दिया कि पानी की प्याऊ बंद क्यों पड़ी है?
हां, अवैध अतिक्रमण करने वाले व्यक्ति ने पानी की प्याऊ के अस्तित्व को नष्ट जरूर कर दिया।
उसने पानी की प्याऊ पर अवैध अतिक्रमण कर अपना व्यापार चलाना शुरू कर दिया और प्याऊ को बंद कर उस भामाशाह की पुण्य आत्मा को क्षति पहुंचा दी।
पिछले करीब एक साल से गांवों का संगी न्यूज़ टीम एवं मण्डार गांव के जागरूक नागरिक इस पानी की प्याऊ से अवैध अतिक्रमण को हटाने एवं पानी की प्याऊ को पुनः सुचारू करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन ना तो पूर्व में नायब तहसीलदार रहे सरकारी कारिंदे ने काम किया और नहीं वर्तमान नायब तहसीलदार इस काम को कर रहे हैं।
वर्तमान नायब तहसीलदार तो कहते है, चाहें भूख हड़ताल कर लो, पानी की प्याऊ से नहीं हटेगा अवैध अतिक्रमण।
नहीं चालू होगी पानी की प्याऊ। हम गांवों का संगी न्यूज़ एवं जागरूक नागरिकों का लक्ष्य है कि पानी की प्याऊ से अवैध अतिक्रमण हटाया जाए साथ ही पानी की प्याऊ का संचालन शुरू हो ताकि ग्रामीणों को इस गर्मी के मौसम में पानी की सुविधा उपलब्ध हो।
पुण्य आत्मा,भामाशाह द्वारा बनाई गई पानी की प्याऊ का सही उपयोग हो सकें। वरना स्वर्ग में भी पुण्य आत्मा यह देखकर दुःखी हो रही होगी।
यदि उपतहसील मण्डार के कार्मिक पानी की प्याऊ को सुचारू करने में यदि असमर्थ है तो गांवों का संगी न्यूज़ एवं जागरूक नागरिक पानी की प्याऊ का संचालन करने के लिए तैयार हैं।
वही यदि प्याऊ पर किए गए अवैध अतिक्रमण को नही हटाया गया एवं प्याऊ को सुचारू नहीं किया गया तो जनहित में अब अनशन करना पड़ेगा।