मण्डार। जिस कृष्ण, गोविन्द के लिए राजकुमारी मीरा ने महलों का ऐशो-आराम त्याग दिया, उनकी भक्ति में कोई तो शक्ति जरूर होगी।
ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आराधना भवन में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर संस्था की राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी शैल बहन ने अपने उद्बोधन में बताया की कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा जिनके लिए एक राजकुमारी(मीरा) ने महलों का ऐशो आराम त्याग दिया उनकी भक्ति में कोई तो शक्ति ज़रूर होगी। यूँ ही नहीं हर साल हजारों लोग लड्डू गोपाल के जन्म के साक्षी बनने के लिए दूर-दूर से मथुरा पहुंचते हैं। यूँ ही भक्त पूरे दिन भूखे प्यासे रह कर रात के 12:00 बजे तक उनके जन्म का इंतेज़ार नहीं करते। यूँ ही नहीं कृष्ण जन्माष्टमी को हर घर में इतनी ख़ुशी से मनाया जाता जैसे उनके ही घर में पुत्र का जन्म हुआ है।
यह सब श्री कृष्ण के भक्तों का प्यार ही है जो उनसे यह सब करवाता है। आराधना भवन में भाई बहनों ने छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे बाल, छोटो सो मेरो मदन गोपाल एक से एक बढ़कर गरबा डांस के माध्यम से भाई बहनों को गरबा नृत्य के लिए झूमने को मजबूर कर दिया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मफतलाल बुनकर, रावता राम चौधरी, खेताराम माली, सेवानिवृत्त अध्यापक दानाराम गुरु, रणवीर बुनकर, दानाराम माली, किशन माली, लवजी राम, राजेश कुमार, रितिका माली, संस्था की बृह्मकुमारी गुंजन बेन समेत दर्जनों भाई बहिन उपस्थित थे।
इस अवसर पर नन्हे-मुन्ने बालकों को कृष्ण राधा का रूप देकर उनका पूजन भी किया गया। इस अवसर पर उन्होंने भाई बहनों को संबोधित करते हुए बताया कि हमें इस पावन पर्व से प्रेरणा लेनी चाहिए और जातिभेद, छुआछूत को त्याग कर इंसान को इंसान समझना है, कृष्ण भगवान के सद्गुणों को अंगीकार करना है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने ओम शांति बोलकर कहा कि हम इतना ही कहना चाहेंगे की नन्द के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की और उन्होंने कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को शुभकामनाएं दी।