जयपुर। गोपालन मंत्री प्रमोद भाया ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार के पास नंदी शालाओं को वर्ष में 90 दिन के बजाय पूरे 365 दिन का अनुदान देने के लिए विभिन्न विधायकों तथा संस्थाओं के प्रतिनिधियों के ज्ञापन एवं सुझाव प्राप्त हुए है। उन्होंने कहा कि इनका परीक्षण करवाया जा रहा है और संसाधनों की उपलब्धता तथा प्राथमिकता के आधार पर इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
भाया ने प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि वर्तमान में 3 हजार 222 गोशालाओं में 10 लाख 61हजार गौवंश है, जिसमें बड़ा गो वंश 8 लाख 23 हजार तथा छोटा गो वंश 2 लाख 38 हजार है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 2 हजार 221 पात्र गोशालाओं को अनुदान दिया जा रहा है। जिनमें 9 लाख 91 हजार गो वंश है तथा अपात्र गोशालाएं 1 हजार 101 है।
गोपालन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गौ वंश के संरक्षण तथा संर्वधन के लिए समर्पित है और उन्होंने संत सम्मेलन आयोजित करके मार्च 2019 में छोटे पशु को दिया जाने वाला अनुदान 16 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपए तथा बड़े पशु का 32 से बढ़ाकर 40 रुपए कर दिया। उन्होंने कहा कि नई पंचायत समितियों में जब नंदी शालाएं शुरु होगी तो उनमें 9 महीने के अनुदान का प्रावधान है।
इससे पहले भाया ने विधायक श्रीमती अनिता भदेल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 3 हजार 222 पंजीकृत गौशालाएं है जिनमें 10.61 लाख गौवंश संधारित है। उन्होंने इसका जिलेवार विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि गौ संरक्षण एवं संवर्धन निधि नियम 2016 के अन्तर्गत एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 180 दिवस की सहायता राशि दो चरणों में 90-90 दिवसों हेतु पात्र गौशालाओं में संधारित गौवंश के भरण पोषण के लिये वर्तमान में बडे गौवंश हेतु 40 रु. तथा छोटे गौवंश हेतु 20 रु. प्रतिदिन प्रति गौवंश की दर से दिये जाने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि गौशालाओं में संधारित गौवंश के भरण-पोषण हेतु वर्तमान सरकार द्वारा पूर्व में दी जा रही सहायता राशि की दरों में वृद्धि की गई। उन्होंने बताया कि बडे़ गौवंश हेतु 32 रुपये के स्थान पर 40 रुपये एवं छोटे गौवंश हेतु राशि 16 के स्थान पर राशि 20 रुपये प्रतिदिन प्रति गौवंश कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि में अभिवृद्धि में संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है जो परीक्षणाधीन है।