नई दिल्ली। देश में किसकी सरकार बनेगी और किस पार्टी को कुल कितनी सीटें मिलेंगी? यह आज देर शाम तक साफ हो जाएगा। लोकसभा चुनाव में देश की 543 सीटों पर रुझान आने लगे हैं. एग्जिट पोल के अनुमान की तुलना में इंडिया गठबंधन कड़ी लड़ाई में देखा जा रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने रुझानों में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। एनडीए को 300के आस-पास सीटें मिल रही हैं। इंडिया गठबंधन भी 220 का आंकड़ा पार कर गया है। एनडीए की सरकार बनती है तो नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और देश के दूसरे ऐसे नेता बन जाएंगे, जिन्होंने लगातार तीसरी बार पीएम बनने का रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले यह रिकॉर्डभारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर है। इस बार 96.88 करोड़ मतदाताओं में से 64.2 करोड़ मतदाताओं ने वोट देकर रिकॉर्ड बनाया है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे लगातार दिलचस्प होते जा रहे हैं. रुझानों में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। एनडीए लगभग 300 सीटों के आस-पास पर आगे है वही इंडिया गठबंधन 220 सीटों के आस-पास पर बढ़त बनाए है। अन्य 20 उम्मीदवार भी आगे चल रहे हैं। हालांकि, बीजेपी की बात करें तो रुझानों में खुद के दम पर पार्टी बहुमत से पिछड़ गई है। भाजपा के खुद के लगभग 240 के आस-पास सीटों पर उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। बहुमत के आंकड़े से पार्टी 32 सीटें पीछे चल रही है।वही एनडीए गठबंधन की बात करें तो एनडीए गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा हैं। इस प्रकार हम कह सकते है कि इस बार चार सौ पार का नारा फीका पड़ गया।अब देश में फिर 10 साल बाद केंद्र में फिर ‘खिचड़ी’ सरकार बनते देखी जाएगी। बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के दम के सहारे पर सरकार बनाने का मौका मिलेगा।
कुलमिलाकर लब्बोलुआब यह है कि भाजपा को अपना अतिआत्मविश्वास दगा दे गया।
लोकतंत्र में मन की बात के साथ ही जनता की बात भी सुनी जानी चाहिए! लोकतंत्र में चुनाव, जनता का अपना मत होता है
भारत के लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि जनता चुनाव में अपनें मत का सही इस्तेमाल करना जानती हैं। वह चाहें तो भारी बहुमत देकर झोली भर सकती हैं। यदि जनता चाहें तो सीट कम करके अहसास भी दिला देती हैं कि मन की बात के साथ-साथ जनता की भी सुनवाई होनी चाहिए। अभी लोकसभा चुनाव में जनता ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा एवं बंगाल में भाजपा को यह अहसास दिला दिया कि भारत में लोकतंत्र सजग हैं। जनता ही माई बाप है यही लोकतंत्र है जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा। इस चुनाव में जहाँ समाजवादी पार्टी एवं ममता बनर्जी ने आरक्षण हटाने और संविधान बदलने वाले मुद्दों को काफी हवा दी। जिस पर भाजपा एससी एवं अल्पसंख्यक जनता को स्पष्टीकरण देने की बजाय अन्य मुद्दों पर ही चुनाव लड़ने लगी। जिसका भाजपा को उत्तर प्रदेश एवं बंगाल में नुकसान उठाना पड़ा। वही हरियाणा एवं पंजाब में किसान आंदोलन ने काफी असर दिखाया। कुलमिलाकर लब्बोलुआब यह है कि कोरोना के बाद भाजपा किसान आंदोलन के मुद्दों पर अपना सही निर्णय नहीं ले पाई साथ ही किसानों को संतुष्ट करने में असफल रही। साथ ही आरक्षण हटाने एवं संविधान बदलने जैसी अफवाहों वाले मुद्दों पर अपना सटीक जवाब जनता तक भाजपा नहीं पहुंचा पाई। जिसका विपक्ष ने जमकर लाभ उठाया, विशेषकर क्षेत्रीय दलों ने जिसमें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने बड़ा फायदा उठाया। इस चुनाव परिणाम में यह देखा जा रहा है कि भारत की ग्रामीण आबादी तो भाजपा को वोट कर रही हैं। लेकिन भाजपा का परंपरागत शहरी वोटर उससे दूर जा रहा हैं। उसके कारण ढूंढे नहीं गए, शहरी व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने की बजाय इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा दिया गया। इस प्रकार कह सकते है कि इस लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा की एवं नरेंद्र मोदी की एक प्रकार से हार हुई है साथ ही विपक्ष यानी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों की जीत हुई हैं। सबसें अच्छी बात इस चुनाव की यह रही कि इस चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम पर दोष नहीं लगाया गया और दूसरा अच्छा परिणाम यह रहा कि इस बार मजबूत विपक्ष लोकसभा में होगा। जो कि लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए बहुत ही जरूरी हैं।