नंदगांव-सिरोही। लोग मंदिरों में नन्दी को पूजते है लेकिन असली नंदी को सडक पर खुला छोड देते है और उसकी सार सम्भाल नहीं करते है इसलिए सरकार ने नन्दी गौशालाए खोलने की पहल की है। इस वर्ष राज्य में नन्दी गौशालाए खोलने के लिए 111 करोड रूपये का बजट आवंटित किया गया है।
उन्होंने गौशाला संचालकों एवं भामाशाहों से अपील की है कि वे सरकार के इस कार्य में सहभागी बनें। उन्होंने बताया कि समिति स्तर पर नन्दी गौशाला खोलने वालो को सरकार एक करोड 57 लाख रूपये आधारभूत सुविधाओं के लिए देगी और जितने नन्दी रखेंगे इस पर 9 माह का अनुदान भी देगी। उन्होंने कहा कि नियमों में काफी सरलीकरण कर दिया है।
राज्य के खनिज एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन ‘‘ भाया’’ ने कहा कि राज्य में नंदी गौ वंश की जो हालात है उसको देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य में हर पंचायत समिति स्तर पर नंदी गौशाला खोलने का फैसला लिया है और इसके लिए 640 करोड के बजट का प्रावधान रखा है।
भाया बुधवार को सिरोही जिले के निम्बज के निकट नन्दगांव(केसुआ) गौशाला में राजस्थान गौ सेवा समिति की ओर से आयोजित गौशाला संचालकों के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लोग मंदिरों में नन्दी को पूजते है लेकिन असली नंदी को सडक पर खुला छोड देते है और उसकी सार सम्भाल नहीं करते है इसलिए सरकार ने नन्दी गौशालाए खोलने की पहल की है। इस वर्ष राज्य में नन्दी गौशालाए खोलने के लिए 111 करोड रूपये का बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने गौशाला संचालकों एवं भामाशाहों से अपील की है कि वे सरकार के इस कार्य में सहभागी बनें। उन्होंने बताया कि समिति स्तर पर नन्दी गौशाला खोलने वालो को सरकार एक करोड 57 लाख रूपये आधारभूत सुविधाओं के लिए देगी और जितने नन्दी रखेंगे इस पर 9 माह का अनुदान भी देगी। उन्होंने कहा कि नियमों में काफी सरलीकरण कर दिया है।
भाया ने कहा कि राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनको गौ पालन मंत्रालय इसीलिए दिया है क्योकि वे लम्बे समय से गौशाला का सचालन कर रहें है इसलिए उनकी इच्छा थी कि राज्य में गौपालन का कार्य एक नया कीर्तिमान कायम करें । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के समक्ष गौपालन की समस्याओं को विस्तार से रखा ओर उसके समाधान का भी रोडमेप दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अनुदान 16 से 20 व 32 से 40 रूपये प्रति पशु बढाया। उन्होंने कहा कि सरकार व मुख्यमंत्री की मंशा है कि गौशालाओं को 6 माह की जगह 9 माह तक का अनुदान दिया जावे लेकिन कोरोना के कारण वित्तीय हालात ठीक नहीं रहने से यह काम नहीं हो सका लेकिन जैसे ही वित्तीय हालात ठीक होगे तो सरकार गौ संचालकों से किए गए वायदे को पूरा करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो गौशालाए गोचर भूमि पर वर्षो से संचालित हो रही है उनको भूमि आवंटन के लिए राज्य सरकार प्रशासन गांवों के संग अभियान में राहत प्रदान करे उसके लिए आपकी भावनाओ को मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जावेगी ताकि राहत मिल सके।
उन्होंने विकलांग एवं बीमार पशुओं को 12 माह का अनुदान देने, हर जिले में पशु एम्बुलेंस शुरू करने की मांग को पूरा करने के लिए सरकार जल्द से जल्द आदेश जारी करेगी। उन्होंने कहा कि अब राज्य में एक साल से पंजीकृत गौशालाए कम से कम 100 गौ वंश का लालन पालन करेगी तो उन्हें भी अनुदान दिया जाएगा।
वन राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने सभी गौ शाला संचालको का स्वागत करते हुए कहा कि बीमार गौ वंश को 12 माह का अनुदान दिया जावे और संचालकों की जो अन्य सुझाव व मांगे है उन पर सरकार जल्द ही फैसला कर राहत देगी उसके लिए प्रक्रिया चल रही है।
विधायक संयम लोढा ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि गौ माता व भारत माता की जय तभी सफल है जब गौवंश व घरों में रहने वाली हर स्त्री को सम्मान मिले। गोैपालन जीवन स्तर ऊंचा उठाने का एक संकल्प है। उन्होंने कहा कि यह कार्य तभी होता है जब व्यक्ति में संस्कार व करूणा हों। उन्होंने कहा कि पथमेडा गौशाला के महन्त दतशरणानंदजी महाराज ने गौ सेवा का जो भाव जगाया है वो वास्तव में वंदनीय है। उन्होंने कहा कि आज की आवश्यकता है कि गांवों में हम गौचर को सुरक्षित रखे ताकि गौ वंश को चरने व विचरण की जगह उपलब्ध रहें। उन्होंने कहा कि राजस्व अभियान में गौचर भूमि को लेकर सरकार को बडा फैसला करना चाहिए।
सम्मेलन में पथमेडा गौशाला के महन्त दतशरणानंदजी महाराज ने अपने आर्शीवचन में कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मन में गौ माता को लेकर बहुत अच्छी सोच है ओर उस सोच का ही नतीजा है कि देश में राजस्थान पहला प्रदेश है जहां गोपालन विभाग है ओर सरकार गोवंश के लालन पालन पर प्रति वर्ष 700 करोड रूपए खर्च कर रही है। उन्होंने गौचर को बचाने के लिए राज्य विधानसभा में एक विशेष विधेयक लाने की मांग रखते हुए कहा कि गोपालन से ही गरीबी मिटेगी ओर रोजगार बढेगा। उन्होंने कहा कि गौचर को बचाने के लिए राजनेताओं व सरकारों की इच्छा शक्ति जरूरी है।
प्रारम्भ में गोैशाला संचालकों के बीच अनेक महात्माओं ने गौ माता की महिमा व उसके संरक्षण को लेकर अपने-अपने विचार रखें। बीकानेर विश्व विद्यालय के कुलपति सतीश शर्मा ने कहा कि सरकार को राज्य की गौ वंश नस्लों को बचाने के लिए सभी नस्लों को अलग-अलग जगह विकसित करने की जरूरत है।
समिति के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश गिरी महाराज ने एक विस्तुत मांगपत्र गोपालन मंत्री को प्रस्तुत कर उस पर सकारात्मक कार्यवाही करने का अनुरोध किया। मंच का संचालन करते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रघुनाथसिंह पुरोहित ने विस्तार से संचालको के सुझाव रखे।
अंत में गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने वहां पर श्री सुरभि गोग्रास संग्रहालय का लोकार्पण किया। यह संग्रहालय भवन प्रतापजी उकराजी राजपुरोहित ने बनावाकर भेंट किया है। इस दौरान भवानी सिंह देवड़ा निम्बज,प्रताप भाई पंचाल सहित कई गौभक्त मौजूद थे।