जयपुर। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री रमेश चन्द मीना ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में राशि जमा नहीं होने के प्रकरण में चार कार्मिकों के निलंबन व 13 विकास अधिकारियों के विरूद्व जांच की जायेगी।
मीना शून्यकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य जोराराम कुमावत द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र सुमेरपुर के ब्लॉक सुमेरपुर में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के खाते में राशि जमा नहीं होने के प्रकरण में दोषी पाए गए तत्कालीन विकास अधिकारी नारायण राजपुरोहित व तनु राठौड़, सहायक लेखा अधिकारी अशोक कुमार देवरा व आवास प्रभारी कुकाराम माली को निलंबित किया जाएगा। साथ ही प्लेसमेंट एजेंसी के विरूद्व कार्यवाही व प्रकरणों की अवधि में कार्यरत 13 विकास अधिकारियों के विरूद्व जांच की जाएगी। मीना ने सदन को अवगत कराया कि दोषी अधिकारियों से राशि वसूल कर लाभार्थियों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि प्रमुख शासन सचिव, ग्रामीण विकास की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर समिति गठित कर ऐसे प्रकरणों की जांच भी की जाएगी।
इससे पहले इस संबंध में मीना ने अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि सुमेरपुर पंचायत समिति विकास अधिकारी से कुल 22 लाभार्थियों की राशि अन्य खातों में जमा होने की सूचना प्राप्त हुई है। इसमें कनिष्ठ लिपिक श्री नरेश कुमार को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1958 के नियम 16 के तहत ज्ञापन, आरोप पत्र व आरोप विवरण पत्र जारी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पंचायत समिति सुमेरपुर में कार्यरत कम्प्यूटर ऑपरेटर (प्लेसमेंट एजेंसी) दाउद खान भी लाभार्थियों की राशि अपने खाते में जमा करने के प्रकरण में दोषी है। कनिष्ठ लिपिक नरेश कुमार व कम्प्यूटर ऑपरेटर दाउद खान के विरूद्व एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि पाली जिले की अन्य पंचायत समितियों में इस प्रकार की कोई भी शिकायत नहीं मिली है। राज्य के अन्य जिलों से भी प्राप्त सूचनानुसार 24 जिलों में ऐसे कोई प्रकरण नहीं पाये गये हैं। मीना ने कहा कि अन्य 8 जिलों (बांसवाडा-1, बाडमेर-3, चित्तौडगढ़-1, डूंगरपुर-12, जालौर-1, कोटा-8, प्रतापगढ़-16 तथा उदयपुर-1) में कुल 43 प्रकरण मिले है जिनमें 24 प्रकरणों में दोषी कार्मिकों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करवायी गयी है।
उन्होंने बताया कि 7 प्रकरणों में दोषी कार्मिकों के विरूद्ध 17 सीसीए नोटिस जारी किया गया है, 5 प्रकरणों में दोषी कार्मिकों को आदेशों की प्रतिक्षा में जिला परिषद के लिए कार्यमुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि एक प्रकरण में दोषी कार्मिक के विरूद्ध डीओआईटी द्वारा नोटिस जारी किया गया है तथा दूसरे प्रकरण की जांच विचाराधीन है और 2 प्रकरणों में पीएफएमएस में तकनीकी त्रुटि के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि 1 प्रकरण में मानवीय भूलवश गलत खाता संख्या दर्ज हो गयी थी तथा 1 प्रकरण में दोषी की मृत्यु हो चुकी है।