मण्डार। गांधारी की तरह आंखों के होते हुए भी आंखों पर पट्टी बांधकर क्यों बैठे हुए है जिम्मेदार?
मण्डार से गुजर रहे नेशनल हाइवे 168(पूर्व में स्टेट हाइवे-27 था) की सड़क के बराबर लेवल में खुले नालों का निर्माण कर तथाकथित लोगों ने अपना स्वार्थ तो सिद्ध कर लिया मगर लोकतंत्र की मालिक आमजनता को एवं मूक पशुओं को इस लापरवाही का शिकार होकर दुर्घटनाग्रस्त होकर मरने और मारने के लिए नाले खुले छोड़ दिए। तथाकथित लोगों ने अपने फायदे के लिए नियमों का भी उल्लंघन किया मगर सब गुनाह माफ कर दिए।
लेकिन खुले नाले छोड़कर की गई लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता एवं नहीं माफ किया जा सकता हैं। तथाकथित लोगों द्वारा खुले छोड़े गए नाले सड़क पर चलने वाली लोकतंत्र की मालिक आमजनता एवं मूक पशुओं को एक प्रकार से मारने का ही कृत्य हैं!
तथाकथित लोगों द्वारा बनाए गए एवं खुले छोड़े गए नाले आकार में इतने बड़े है कि गाड़ी पलट सकती है मोटरसाइकिल गिर सकती है साथ मूक पशु भी मर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि तथाकथित लोगों को एवं जिम्मेदारों को जानकारी नहीं है कि इसी नाले में कुछ दिन पूर्व एक सांड गिर गया था एवं बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला था। साथ ही इस खुले नाले में कई मोटरसाइकिल, कई गाड़ी(कार)गिरते-गिरते बची है।
एक प्रकार से बड़े हादसे का शिकार होते-होते बची हैं। इस संबंध में संवेदनशील संवाददाताओं ने कई बार खबर भी चलाई मगर जिम्मेदार, गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी बांधें मौन धारण कर चुके हैं।
इस संबंध में स्थानीय विधायक जगसीराम कोली को जानकारी दी गई उनके द्वारा जिला कलक्टर सिरोही तक को बात की गई थी मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा हुआ। इसका मतलब साफ है कि विधायक जगसीराम कोली द्वारा जनहित में उठाई गई आवाज को भी अनसुना कर दिया गया। इसका मतलब साफ है कि विधायक की भी बात नहीं चली।
दिन में यहाँ से इसी सड़क से मण्डार सरपंच गुजरते है इसी सड़क से मण्डार नायब तहसीलदार भी गुजरते है लेकिन किसी ने जनहित में कोई सुनवाई नहीं की। पास में ही सड़क सीमा में नियम विरुद्ध बिना किसी सक्षम अनुमति के व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य भी किया जा रहा है मगर नियम विरुद्ध कार्य को रुकवाने के लिए कोई तैयार नहीं।
गौरतलब है जहाँ नियम विरुद्ध सड़क सीमा में व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य चल रहा है इसी जगह इनके द्वारा खोदे गए गहरे गड्ढ़े में गिर कर गौवंश की मौत भी हो चुकी हैं।
मगर जिम्मेदार गांधारी की तरह आंखों पर पट्टी बांधकर मौन धारण किए हुए हैं। ऐसा नहीं है इस बारे में किसी को जानकारी नहीं दी गई इस बारे में ग्राम पंचायत मण्डार, नायब तहसीलदार मण्डार जब्बरसिंह, तहसीलदार रेवदर, उपखण्ड अधिकारी रेवदर, जिला कलक्टर सिरोही तक को जानकारी दी गई हैं। मगर सब मौन धारण किए है कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं।
ऐसा लगता है कि जिस प्रकार मूक गौवंश नियम विरुद्ध बन रहे व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स निर्माता की लापरवाही का शिकार होकर गहरे गड्ढ़े में गिर कर मर गया, उसी प्रकार तथाकथित लोग एवं जिम्मेदार भी आमजनता को सड़क के पास खुले छोड़े गए नालों में मरने के लिए छोड़ना चाहते हैं!
क्या कोई सुनेगा लोकतंत्र की मालिक आमजनता एवं मूक पशुओं की आवाज? इंतजार रहेगा….