वरमाण। अद्धभूत संगम वह भी एक ही मूर्ति में ब्रह्माजी, विष्णुजी एवं महादेवजी का। जी हां वरमाण के प्राचीन वरमेश्वर महादेवजी मंदिर में काफ़ी अद्धभूत संगम देखने को मिल रहा हैं। वहाँ देवों के देव महादेवजी के साथ ही एक ही मूर्ति में बृह्माजी एवं विष्णुजी भी मौजूद हैं। सबसे अधिक रोचक एवं विशेष बात यह है कि यहाँ मंदिर के दरवाज़े पर कार्तिकेय एवं गणेशजी भी मौजूद हैं। जो कि एक प्रकार से पहरेदारी कर रहे हैं।
मंदिर के पुजारी अमृतदास के अनुसार यह मंदिर काफ़ी पुराना हैं। इस मंदिर की देखभाल की काफ़ी आवश्यकता हैं। यहाँ पर काफ़ी पुरातात्विक महत्व की धरोहर भी हैं।
कुछ वर्ष पूर्व इसी मंदिर से शिवपार्वती की दुर्लभ नीलम पत्थर से बनी मूर्ति भी चोरी हो गई थी, बताया गया है कि जिसे अंतरराष्ट्रीय मूर्ति तस्कर वामन नारायण घीया द्वारा चोरी की गई थी।
ग्रामीण केसरसिंह देवड़ा के अनुसार ऐसी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की धरोहर को संरक्षित करने की जरूरत हैं। मंदिर के सामने ही बिल्वपत्र का वृक्ष भी मौजूद है, कहते है भगवान शिव बिल्वपत्र चढ़ाने से खुश होते हैं। ग्रामीण पूरण जोशी के अनुसार यहाँ भगवान से मांगी गई मन की कामना भगवान वरमेश्वर महादेवजी पूर्ण करते हैं।
संत धूलेश्वरजी की धुणी भी काफ़ी चमत्कारी हैं- ग्रामीण बताते है कि गांव के धुलसिंह देवड़ा, वरमेश्वर महादेवजी के परमभक्त थे उनका भगवान वरमेश्वर महादेवजी से सीधा संवाद होता था। आज भी उनकी धुणी मंदिर परिसर में मौजूद हैं।
बताया जाता है कि धूलेश्वर बाबा का सुमेरपुर में भक्तों द्वारा मंदिर तक बनाया गया हैं। वरमाण गांव के अग्रवाल परिवार को धूलेश्वर बाबा द्वारा काफ़ी चमत्कार दिखाए गए थे। आज उनकी वजह से उनके आदेश के अनुसार अग्रवाल परिवार दूसरी जगह जाकर खुशहाली की जिंदगी जी रहे हैं।
हर साल वरमेश्वर महादेवजी का मेला लगता है यह मेला होली के पांच दिन बाद लगता हैं। अग्रवाल परिवार के लोग भी इस मेले में वरमेश्वर महादेवजी के साथ धूलेश्वर बाबा के दर्शन करने आते हैं।
आज वरमाण में हमे यह जानकारी पुजारी अमृतदास, प्रकाश गर्ग, कानसिंह देवड़ा, भैरूसिंह देवड़ा, मसराराम कोली सहित कई ग्रामीणों द्वारा बताई गई।