नई दिल्ली। जीआई प्रमाणित गेहूं में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और यह स्वाद में मीठा होता है। भालिया फसल प्रमुख रूप से गुजरात के भाल क्षेत्र में पैदा की जाती है।
भाल क्षेत्र में अहमदाबाद, आनंद, खेड़ा, भावनगर, सुरेंद्रनगर, भरूच जिले शामिल हैं। गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आज, जीआई (भौगोलिक संकेतक) प्रमाणित भालिया किस्म के गेहूं की पहली खेप गुजरात से केन्या और श्रीलंका को निर्यात की गई।
जीआई प्रमाणित गेहूं में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और यह स्वाद में मीठा होता है। भालिया फसल प्रमुख रूप से गुजरात के भाल क्षेत्र में पैदा की जाती है। भाल क्षेत्र में अहमदाबाद, आनंद, खेड़ा, भावनगर, सुरेंद्रनगर, भरूच जिले शामिल हैं।
गेहूं की किस्म की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि इसे बारिश के मौसम में बिना सिंचाई के उगाया जाता है और गुजरात में लगभग दो लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में इसकी खेती की जाती है।
गेहूं की भालिया किस्म को जुलाई, 2011 में जीआई प्रमाणन प्राप्त हुआ था। जीआई प्रमाणीकरण का पंजीकृत प्रोपराइटर आणंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात है।
इस पहल से भारत से गेहूं निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2020-21 में, भारत से 4034 करोड़ रुपये का गेहूं निर्यात किया गया है। जो कि उसके पहले की वर्ष की तुलना में 808 फीसदी ज्यादा था।
उस अवधि में 444 करोड़ रुपये का गेहूं निर्यात किया गया था। अमेरिकी डॉलर के लिहाज से वर्ष 2020-21 में गेहूं का निर्यात 778 फीसदी बढ़कर 549 मिलियन डॉलर हो गया है।
भारत ने वर्ष 2020-21 के दौरान यमन, इंडोनेशिया, भूटान, फिलीपींस, ईरान, कंबोडिया और म्यांमार जैसे 7 नए देशों को पर्याप्त मात्रा में अनाज का निर्यात किया।
पिछले वित्तीय वर्षों में, इन देशों को थोड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया गया था। वर्ष 2018-19 में इन सात देशों को गेहूं का निर्यात नहीं हुआ और 2019-20 में केवल 4 मीट्रिक टन अनाज का निर्यात किया गया। इन देशों को भारत से गेहूं के निर्यात की मात्रा 2020-21 में बढ़कर 1.48 लाख टन हो गई है।