रेवदर-सिरोही। खेती में नवाचार अन्तर्गत खजूर की खेती के लिए उद्यान विभाग किसानों की संगोष्ठी आयोजित कर उन्नत उद्यानिकी की तकनीकी जानकारी दी जायेगी।
उद्यान सहायक निदेशक डाॅ हेमराज मीना ने बताया कि अरब का खजूर इजराइल पद्धति से अब थार के रेगिस्तान में भी आसानी से फल-फूल रहा है। पश्चिमी राजस्थान की जलवायु खजूर की खेती के लिए उपयुक्त होने से उत्तक संवर्धित तकनीक एवं ऑफ शूट तकनीक से स्थानीय जलवायु की परिस्थितियों में अच्छा उत्पादन दे रही है।
राजस्थान की जलवायु खजूर के लिए उपयुक्त होने से अब किसानों को खजूर के उद्यान लगाने के लिए उद्यान विभाग द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। खरीफ व रबी ऑफ सीजन से खजूर किसानों की आय का जरिया बना हुआ है।
रबी की फसल मार्च में पकने के बाद जुलाई तक खेतों में सन्नाटा रहता है, लेकिन किसान खजूर को पैदावार कर ऑफ सीजन मई व जून में भी आय ले सकता है।
खजूर का टिश्यूकल्चर का पौधा 4 वर्ष बाद उत्पादन देने लगता है। शुरूआती वर्ष में लगभग 40 किलो प्रति पौधा से उत्पादन प्राप्त होता है। वही 3 साल बाद 80 से 100 किलोग्राम प्रति पौधा उत्पादन देने लगता है।
उक्त जानकारी देते हुए डाॅ. हेमराज मीना ने बताया कि खजूर उत्पादन को बढावा देने के लिए उद्यान विभाग सिरोही द्वारा 18 अगस्त, 2021 बुधवार को ऐसे कृषक जो पहले से खजूर का बगीचा स्थापित कर रखा है तथा ऐसे कृषक जो नया बगीचा स्थापित करना चाहते है। उन किसानों का कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरोही में प्रातः 11 बजे प्रशिक्षण रखा गया है।
बैठक में ऑफ शूट के माध्यम से पौधें की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु खजूर ऑफ शूट बेचने वाले व खजूर ऑफ शूट खरीदने वाले किसानों को आपस में परिचय कराते हुए आपस में सहमति लिखवाते हुए किसानों को योजना की पूर्ण जानकारी दी जायेगी।
संगोष्ठि की बैठक में सिरोही, जालोर एवं पाली जिले के अधिकारी एवं कृषकगण भाग लेंगे। राज किसान पोर्टल के माध्यम से पौधों के क्रय विक्रय के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।