रेवदर-कालंद्री। यदि नॉर्मल डिलीवरी करवाने वाले डॉ का कोई नाम है तो वह है डॉ सुमेरसिंह भाटी। डॉ भाटी वर्तमान समय में जालौर, सिरोही जिले के लिए किसी भगवान से कम तो नहीं हैं।
भीनमाल निवासी कंचनदेवी पत्नी विक्रमकुमार माली के डीसा में दो बार सिजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी हुई थी वो भी डीसा के दो अलग अलग हॉस्पिटल में अलग-अलग स्त्री रोग विशेषज्ञों के द्वारा,तीसरी बार भी भीनमाल में दिखाने पर स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा नॉर्मल डिलिवरी होना असंभव बताया ओर बोले कि गर्भवती महिला का वजन करीब 90 किलो व गर्भस्थ शिशु का वजन भी ज्यादा होने व पहले दो सिजेरियन होने की वजह से सिजेरियन करना अनिवार्य हैं।
परिजन किसी भी हालत में नॉर्मल डिलीवरी करवाना चाहते थे। क्योंकि कंचन देवी के पहले 2 बार सिजेरियन में दोनों बार लडकियों का जन्म हुआ था रिश्तेदारों के मन मे ये धारणा थी कि चौथी बार सिजेरियन होता नहीं हैं।
अगर तीसरी बार भी लड़की आ गयी तो क्या होगा क्योंकि राजस्थान में चाहे किसी भी धर्म या समाज के दंपति हो उनमे 1 लड़के की चाहत हमेशा रहती हैं। इसी उधेड़बुन में परिजनों ने एक बार फिर गुजरात का रुख किया और पहुचें डीसा में ,वहाँ पर भी वो ही जवाब मिला जो भीनमाल के विशेषज्ञों ने दिया था।
इस पर लड़की के पीहर वालों से जालोर के बड़गांव में बात की तो पीहर वालों ने एक बार डॉ एस एस भाटी जो कि नॉर्मल डिलीवरी करवाने के लिए प्रसिद्घ है उनसे संपर्क किया तो डॉ भाटी ने रेवदर के भारती हॉस्पिटल व सोनोग्राफी सेंटर बुलाया व नॉर्मल डिलीवरी करवाने का भरोसा दिलाया। डॉ भाटी ने नॉर्मल डिलीवरी करवा कर माली समाज का दिल जीत लिया।
हमारें विशेष संवाददाता सुरेश पुरोहित की ख़ास रिपोर्ट