मंडार। जी हां! हम उन युवाओं को बचा सकते थे। न जाने कितने युवा हम और आपकी कमजोरी की वजह से बेमौत दुर्घटना में मारे जा रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि हम और आप ज़िम्मेदार कैसे है?
आखिर इन युवाओं को आप और हम हैलमेट पहनने के लिए क्यों जागरूक नहीं कर रहे हैं? ये युवा नौजवान आपके और हमारे ही परिवार का ही तो बेटा हैं।
यदि इन युवाओं ने भी जागरूकता बरती होती, हैलमेट पहना होता तो शायद कुछ और होता। हमारे परिवार, समाज एवं सिस्टम में बैठे जिम्मेदारों की भी ज़िम्मेदारी हैं कि वे युवाओं को जागरूक करें, नाबालिक को वाहन हाथ में नहीं देवे। सिस्टम में बैठे ज़िम्मेदार युवाओं को जागरूक करें साथ ही सख्ती भी बरतें।
सिरोही पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने वाक़ई अच्छा प्रयास किया है, हर पुलिस थाने को लोगों को जागरूक करने एवं दंडित करने के लिए सप्ताह में एक दिन तय किया हैं। क्योंकि भय बिना आमजन भी सुधरेगा नहीं। आमजन को चाहिए कि सुधार की शुरुआत स्वयं से अपने परिवार से करें।
नाबालिक को वाहन नहीं देंगे, कोई भी व्यक्ति शराब पीकर वाहन नहीं चलाएगा, यातायात नियमों का पूर्ण पालन करेंगे। बिना हैलमेट गांव से बाहर सड़क पर नहीं जाएंगे। यदि हर परिवार ने, समाज ने यह ज़िम्मेदारी निभा दी और जिम्मेदारों ने बिना भेदभाव के कानून का पालन किया तो यक़ीन मानिए कोई युवा बेमौत नहीं मारा जाएगा।