जीरावल। जप साधना से मंत्र की सिद्धि एवं आत्मा की शुद्धि होती हैं। आबूगोड़ रत्न पूज्य आचार्यदेव रविरत्नसूरीश्वरजी महाराज साहब द्वारा आज सूरि मंत्र की तीसरी पीठिका जाप की पूर्णाहुति हुई। प्रातः काल वेला में वाजते गाजते चतुर्विध संघ के साथ सर्वप्रथम जीरावला पार्श्वनाथ जिनालय में जाकर पार्श्व प्रभु के दर्शन कर स्तुतिगान आदि किया।
उन्होंने उपाश्रय में पधारकर गुरुभक्तों को मांगलिक श्रवण का लाभ प्रदान किया। इस दौरान मुमुक्षु बहनों द्वारा पूज्य श्री का सामैया कर अक्षत से वंदना की गई। यह जाप साधना 25 दिनों की मौनपूर्वक आराधना थी। जिसमें सादा भोजन एवं जाप मग्न रहना होता हैं।
पूज्य श्री ने मंगल वचन में बताया कि जप साधना से मंत्र की सिद्धि एवं आत्मा की शुद्धि होती हैं। इस दौरान सभी को वासक्षेप से आशीर्वाद दिया। अंत में तीर्थ मैनेजर आकाश भाई ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कल 18 फरवरी को जीरावला जिनालय का चौथा ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा। जिसमें आचार्य श्री की निश्रा रहेगी।
जीरावल से अमृत प्रजापत की रिपोर्ट।