भटाणा। सरकार ‘नम्सा’ (नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर) योजना के तहत काश्तकारों की आजीविका में सुधार करेगी। योजना में चयनित गांवों के चयनित काश्तकारों को जहां दुधारु पशु, गाय, भैंस,बकरी की खरीद और सालभर के चारे में पचास फीसदी अनुदान मिलेगा वहीं सिंचाई टैंक, बीज, खाद, कृषि यंत्र आदि सामग्री भी आधे दाम पर मिलेगी।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित एनएसएमए (नम्सा) योजना के तहत रेवदर ब्लॉक के किसानों की आजीविका में सुधार के प्रयास होंगे।
आज भटाणा में उपनिदेशक कृषि विस्तार सिरोही के निर्देशानुसार भटाणा में नम्सा योजना अंतर्गत दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भटाणा के युवा सरपंच भवानी सिंह देवड़ा ने किसानों को योजना की जानकारी दी साथ ही अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान सहायक कृषि अधिकारी पूराराम चौहान, कृषि पर्यवेक्षक भटाणा रामखिलाड़ी बैरवा एवं पादर कृषि पर्यवेक्षक विश्राम मीना ने भी किसानों को कृषि विभाग की कई योजनाओं की जानकारी दी।
नम्सा में कृषि, उद्यान, रेशम, मत्स्य, डेरी आदि विभागों को भी शामिल किया गया है। योजना में शामिल विभाग अपने विभागों से संबंधित योजनाओं में चयनित काश्तकारों को पचास फीसदी अनुदान देगा। योजना के लिए सरकार ने कृषि विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है।
आप भी जाने कैसे नम्सा योजना से खुशहाल होगा मेरा किसान
किसानों को मिलने वाली आय सुनिश्चित करने और टिकाऊ खेती के राष्ट्रीय मिशन के तहत राज्य सरकार की ओर से प्रदेश भर में पहली बार नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिवल एग्रीकल्चर योजना (नम्सा) की शुरुआत की गई है। किसान जल्द ही इस योजना से लाभान्वित होकर पशुपालन सहित खेती के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि की ओर अग्रसर होने लगेंगे। इसके तहत आय के एक स्त्रोत से दूसरे स्त्रोत से जुड़ने के लिए जिले में कृषि विभाग को पांच ईकाई का लक्ष्य मिला है।
जिसके तहत जिले में पांच पंचायतों का चयन कर किसानों को इस योजना से जोड़ा जाएगा। मुख्यतया पशुपालन आधारित कृषि पद्धति या समन्वित खेती प्रणाली की ऐसी सभी गतिविधियां, जो लंबे समय से प्रक्षेत्र से आय बढाने में सहायक हों और उस प्रक्षेत्र की जलवायु प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित हों। वह अपने जिले में पशु के रुप में गाय भैंस के साथ-साथ मिश्रित खेती के रुप में चारा उत्पादन ले सकता है।
इसके लिए योजना के तहत पशु क्रय पर एक वर्ष का कंसलटेंट (दाना-पानी) का 50 प्रतिशत या अधिकतम 30 हजार रुपए प्रति किसान अनुदान सहायता देय है। जिसमें से चारा उत्पादन पर देय का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर अनुदान देय का प्रावधान है। कृषि विभाग के अनुसार एक क्लस्टर में 100 हैक्टेयर क्षेत्रफल में 100 किसानों का चयन किया जाएगा। जिसमें से 37 किसानों को पशुपालन से ही जोड़ा जाना प्रस्तावित है। बाकी किसानों को रूचि के अनुसार अन्य खेती संबंधित गतिविधियों से जोड़ा जाएगा।
इस योजना से जुड़ने के लिए किसान के पास कम से कम एक हैक्टेयर जमीन होना अनिवार्य है। अन्यथा इससे कम जमीन वाला किसान अमान्य होगा। उदाहरण के तौर पर जैसे की एक क्लस्टर में सौ किसानों को लाभान्वित किया जाता है तो इनमें से चयनित 37 किसानों को इस योजना में पशुपालन से जोड़ने पर प्रोत्साहित कर अनुदान देय है। कृषि विभाग के अनुसार इस योजना में उसी किसानों को लाभान्वित किया जाएगा जिनके पास सिंचाई के साधन उपलब्ध हों। ताकि हरे चारे की खेती की जा सके। साथ ही पशुओं को स्टॉल फ्रीडिंग कराया जा सके।