सिरोही। NDRF में पुलिस के लोग हैं। NDRF को सम्मान भी है। NDRF में काम करने वाले पुलिस के जवान को भी सम्मान है। लेकिन सामाजिक व्यवस्था वैसी है क्या?
अभी दो दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था। उन्होंने पुलिस को लेकर कहा कि मैं एक और पक्ष आपके सामने रखना चाहता हूं। आज कल हम देखते हैं कि जहां-जहां प्राकृतिक आपदा आती है, कहीं बाढ़, कहीं चक्रवाती तूफान, कही भूस्खलन, तो हमारे NDRF के साथी पूरी मुस्तैदी के साथ वहां नजर आते हैं। आपदा के समय NDRF का नाम सुनते ही लोगों में एक विश्वास जगता है। ये साख NDRF ने अपने बेहतरीन काम से बनाई है। आज लोगों को ये भरोसा है कि आपदा के समय NDRF के जवान हमें जान की बाजी लगाकर भी बचाएंगे।
NDRF में भी तो ज्यादातर पुलिस बल के ही जवान होते हैं आपके ही साथी होते हैं। लेकिन क्या यही भावना, यही सम्मान, समाज में पुलिस के लिए है? NDRF में पुलिस के लोग हैं। NDRF को सम्मान भी है। NDRF में काम करने वाले पुलिस के जवान को भी सम्मान है। लेकिन सामाजिक व्यवस्था वैसी है क्या? आखिर क्यों? इसका उत्तर, आपको भी पता है। जनमानस में ये जो पुलिस का Negative Perception बना हुआ है, ये अपनेआप में बहुत बड़ी चुनौती है। कोरोना काल की शुरुआत में महसूस किया गया था कि ये परसेप्शन थोड़ा बदला है। क्योंकि लोग जब वीडियों देख रहे थे सोशल मीडिया में देख रहे थे। पुलिस के लोग गरीबों की सेवा कर रहे हैं। भूखे को खिला रहे हैं। कहीं खाना पकाकर के गरीबों को पहुंचा रहे हैं तो एक समाज में पुलिस की तरफ देखने का, सोचने का वातावरण बदला रहा था। लेकिन अब फिर वही पुरानी स्थिति हो गई है। आखिर जनता का विश्वास क्यों नहीं बढ़ता, साख क्यों नहीं बढ़ती?
आज सिरोही जिले की महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष हेमलता शर्मा ने नव-नियुक्त पुलिस अधीक्षक सिरोही धर्मेन्द्र सिंह यादव से भेंट कर जिले के विभिन्न थानों में व्याप्त अव्यवस्थाओं से अवगत करवाते हुए समाज के कमजोर तबके व महिलाओं की पुलिस थानों में प्राथमिकता के साथ सुनवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
हेमलता शर्मा ने कालन्द्री थाने की अव्यवस्थाओं की बानगी देते हुए कहा कि कालन्द्री निवासी श्रीमती पवनी पुत्री चतराराम राजनट ने दिनांक 14-07-2021 को एक परिवाद थानाधिकारी कालन्द्री को प्रस्तुत किया था। लेकिन कालन्द्री पुलिस ने 15 दिवस तक उस यायावर दलित महिला व उसके परिवार को टरकाये रखा। अन्त में थक हारकर वह पीड़ित परिवार दिनांक 29 जुलाई को पुलिस अधीक्षक सिरोही के समक्ष उपस्थित हुआ तब दिनांक 30 जुलाई को बमुश्किल वह एफ आई आर दर्ज की गई। एफ आई आर दर्ज करवाते समय पुलिस के व्यवहार से पीड़ित परिवार भयग्रस्त है। उन्हें डर है कि कहीं पुलिस उन्हें जेल में न डाल दे।
श्रीमती शर्मा ने पुलिस के आम जनता के साथ इस तरह के व्यवहार व अमानवीय चेहरे को बदलने की मांग की। उन्होंने अपने ज्ञापन में माँग रखी की प्रत्येक पुलिस थाने को पाबन्द किया जाये कि प्रत्येक परिवादी को रिसीप्ट प्रदान करें। सरकार द्वारा निर्धारित गुलाबी रंग की रसीद प्रदान करें, पुलिस समाज के कमजोर तबके व महिलाओं के साथ नरमी से पेश आयें व उन्हें न्याय प्रदान करने में सहायक बने ताकि आम जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा हो सके।