रेवदर-सिलदर। जिले में इस बार का पंचायती राज चुनाव बड़ा रोमांच पैदा कर रहा हैं। पहली बार जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्य के चुनाव में उम्मीदवारों एवं राजनीतिक पार्टियों को पसीना आ रहा हैं।
एक प्रकार से उम्मीदवारों एवं पार्टियों की ख़री अग्नि परीक्षा हो रही हैं। वैसे पंचायत समिति एवं जिला परिषद के चुनाव हर पांच साल में साधारण रूप से हो जाते थे। रोचकता तो प्रधान एवं जिला प्रमुख की सीट के लिए होती थी।
जब प्रधान एवं जिला प्रमुख बनाया जाता था तब कुछ हलचल ज्यादा होती थी। लेकिन इस बार के तो इन चुनावों में ही कड़ा संघर्ष दिखाई दे रहा हैं।
कई सीट है जहाँ कुछ भी कहना आज संभव नहीं! रेवदर पंचायत समिति की जेतावाड़ा-बाँट सीट, गुलाबगंज-सिरोड़ी सीट, मारोल-भेरूगढ़ सीट, अनादरा सीट, डाक, धवली सीट एवं मगरीवाड़ा-वरमाण आज कड़े संघर्ष में फंसी हुई सीट हो गई हैं।
रोज पलड़ा बदल रहा है कभी यह तो कभी वह। ये सीट तो भाजपा एवं कांग्रेस दोनों पार्टियों और उम्मीदवारों को पसीना ला रही हैं। पहली बार पंचायत समिति एवं जिला परिषद के चुनावों में कड़ा संघर्ष देखने को मिल रहा हैं।
उम्मीदवारों की रातों की नींद उड़ गई है, ये चुनाव मानों लोकसभा या विधानसभा के चुनाव हो गए हैं। रेवदर पंचायत समिति एवं सिरोही पंचायत समिति में कई जगह कोली समाज, मेघवाल समाज एवं भील समाज के वोट कई समीकरण बदलने की क्षमता रखतें हैं।
इसलिए इन जातियों के जनप्रतिनिधियों, पंच पटेलों की खूब आवभगत हो रही हैं।
पहली बार पूर्ण रूप से सांसद, विधायक, जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष तक को मैदान में कूदना पड़ रहा हैं। अब देखना है 26 अगस्त को रेवदर एवं 29 अगस्त को सिरोही पंचायत समिति में ऊंट किस तरफ़ करवट लेता हैं।