रेवदर। क्या गलत का विरोध नहीं करना चाहिए? क्या सच का साथ नहीं देना चाहिए?
आप चाहें कुछ भी सोचें, हम सच का साथ देंगे। सच का साथ देने और गलत का विरोध मात्र करने से शराब माफियाओं को कुछ ही मिनटों में मिर्ची लग गई।
भाई शराब माफियाओं तुझें मिर्ची लगी तो हम क्या करें?
दरअसल बात यह है कि आज रेवदर उपखण्ड कार्यालय के पास तहसील कार्यालय के बाहर रेवदर फाउंडेशन के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता बृजमोहन शर्मा द्वारा रेवदर तहसील क्षेत्र में हो रही शराब की अवैध बिक्री एवं उसे ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे संरक्षण के विरोध में आमरण अनशन शुरू किया गया।
उनके द्वारा बताया गया है कि रेवदर तहसील में शराब की वैध सरकारी दुकान तो मात्र 30 या कुछ ज्यादा हैं। मगर उसकी बजाय आज करीब 300 से भी ज्यादा जगह पर शराब की अवैध बिक्री जारी हैं। साथ ही सनवाड़ा से मंडार तक कई ढाबों और होटलों पर शराब की अवैध बिक्री बेख़ौफ़ जारी हैं।
जिसे आबकारी विभाग एवं पुलिस विभाग संरक्षण देता हैं। वही रेवदर पुलिस उपाधीक्षक भी ऐसे अवैध कार्यो को संरक्षण देते हैं। इस बारे में न्यूज़ कवरेज के लिए गांवों का संगी टीम आमरण अनशन स्थल पर पहुंची एवं उनसे बात भी की।
साथ ही उपखण्ड अधिकारी रेवदर को भी इस आमरण अनशन के संबंध में जानकारी दी एवं उचित कार्रवाई को कहा गया। इस पर शराब की ढाबों, होटलों एवं अन्य जगह अवैध बिक्री करने वालों दलालों को मिर्ची लग गई। वे गांवों का संगी टीम को लगातार फोन कर धमकाने का काम करते रहे।
एक शराब की अवैध बिक्री के समर्थक तथाकथित राजनीतिक महाशय तो कहने लगे की मेरे परिसर में कभी आना मत। इन शराब माफियाओं को बुरा लगा कि आप हमारे आकाओं के ख़िलाफ़ क्यों उनका समर्थन कर रहे हो, वे चाहते है कि हमारे आका का नुकसान नहीं हो। ताकि शराब की अवैध बिक्री पर आका का संरक्षण मिलता रहे।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को, जिला कलक्टर महोदय सिरोही एवं सिरोही जिले के नए पुलिस अधीक्षक महोदय को चाहिए कि इस मामलें की निष्पक्ष जांच की जाए एवं सभी ढाबों, होटलों एवं अन्य जगह पर से शराब की अवैध बिक्री बंद करवाई जाए। जो भी ज़िम्मेदार अधिकारी गलत कार्य कर रहा है उस पर कार्रवाई की जाए।
ताकि शराब माफियाओं और आकाओं का टांका भीड़ न सकें। इनके आकाओं का भ्रष्ट गठबंधन का टांका ही तोड़ दिया जाए।