रेवदर। यौन उत्पीड़न की सबसे बड़ी वजह शौचालय का नहीं होना एवं खुले में शौच जाना हैं। कई अध्ययन बताते हैं कि शौचालय के अभाव में खुले में शौच के लिए निकलने वाली महिलाएं यौन हिंसा की ज़्यादा शिकार बनती हैं।
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भारत में शौचालय की कमी की सबसे बड़ी शिकार महिलाएं होती हैं।
पंचायत समिति रेवदर द्वारा क़स्बे में बहुत ही बढ़िया कॉम्पलेक्स का निर्माण करवाया गया है। लेकिन आज तक उसमें न तो पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो पाई और न शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो पाई हैं। कुछ वर्ष पूर्व कोने में ही एक ख़ाली पड़ी दुकान में अस्थाई रूप से मूत्रालय का निर्माण जरूर करवा दिया गया था। जिसकी साफ सफ़ाई भी कॉम्पलेक्स के दुकानदार कई बार स्वंय करवाते थे। इस मूत्रालय से काफ़ी बदबूदार वातावरण हो जाता था एवं दुकानदार परेशान हो जाते थे। आज भी इस पंचायत समिति कॉम्पलेक्स में शौचालय क्रियाशील नहीं हैं। यह बात जरूर है कि पंचायत समिति कॉम्पलेक्स के बाहर कोने में शौचालय का निर्माण करवाया गया है। लेकिन आज तक इसका उद्घाटन नहीं किया हैं। इस कारण दुकानदारों के साथ-साथ कॉम्पलेक्स में आने वाले उपभोक्ताओं, विशेषकर महिलाओं को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं।
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यूं कहें तो महिलाओं को एक प्रकार से यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता हैं।
आज भी कई जगह भारत की जनता को शौचालय के अभाव में गुज़र बसर करना पड़ता है। इन्हें खुले में शौच के लिए जाना होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ़ के आंकड़ों के मुताबिक़ गांवों में स्थिति और भी ख़राब है. ग्रामीण इलाक़ों में आज भी कई लोग खुले में शौच करते हैं. इनमें शामिल महिलाओं को हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वो शौच के लिए बेहद सुबह या फिर देर रात निकलती हैं. जब सन्नाटा होता है।
करोड़ो रूपये की बिल्डिंग, लाखों रुपये की कमाई, महिलाओं के लिए शौचालय की कोई सुविधा नहीं! रेवदर पंचायत समिति कॉम्पलेक्स
Posted by Gaonvo KA SANGI News on Wednesday, 14 July 2021
एक बार वाटर एड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बारबारा फ्रॉस्ट ने इस मसले पर कहा था कि “यह ख़ौफ़नाक है कि शौचालय के अभाव में महिलाओं और लड़कियों को कितने ख़तरों का सामना करना पड़ता है”।
फ्रॉस्ट आगे कहती हैं, “ग़रीब परिवार की महिलाओं और लड़कियों को शौचालय की सुविधा मुहैया की जानी चाहिए, वह भी प्राथमिकता के आधार पर।”
ज़्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को ध्यान में रखते हुए भारत में शौचालय की उपलब्धता को बढ़ाने की ज़रूरत है. ज़रूरत इस बात की है कि ज़मीन की उपलब्धता पर निजी शौचालय बनाए जाएं और अगर ज़मीन उपलब्ध नहीं तो शेयर्ड शौचालय बनाए जाएं।
जब पहली बार नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने थे उस समय उन्होंने कहा था कि “पहले शौचालय, फिर मंदिर.” उन्हें महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस दिशा में जल्द से जल्द क़दम उठाना होगा।
पंचायत समिति कॉम्पलेक्स में शौचालय की समस्या को लेकर कई बार दुकानदारों द्वारा पंचायत समिति रेवदर को अवगत करवाया गया मगर आज तक समाधान नहीं किया गया।
इस संबंध में विकास अधिकारी पंचायत समिति रेवदर मनहर विश्नोई से जब बात की गई तो पढ़िए क्या कहा विकास अधिकारी रेवदर ने-
पंचायत समिति कॉम्पलेक्स में जो शौचालय बनाया गया है उसमें अभी पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है, हम सात दिन में ही इस समस्या का समाधान कर शौचालय को क्रियाशील कर देंगे।-मनहर विश्नोई, विकास अधिकारी, पंचायत समिति,रेवदर।