मंडार। कोरोना महामारी को ध्यान में रखतें हुए कस्बे के आरटीओ चेक पोस्ट के पास स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर की वर्षगांठ कोरोना गाइडलाइंस की पालना करते हुए मनाई गई।
अलसुबह शुभ मुहूर्त में मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा चढ़ाई गई। मंडार क़स्बे में देवों के देव श्री लीलाधारी महादेव जी की तलहटी में श्री सांवलियाजी का मंदिर अपनी अलग ही पहचान रखता हैं। यह मंदिर घांची समाज के अपने आराध्य देव श्री सांवलियाजी का अपना मंदिर हैं।
आज वर्षगांठ पर भगवान श्री सांवलियाजी से सभी समाजबंधुओं द्वारा सुख-शांति की कामना की गई साथ ही कोरोना रूपी राक्षस से पूरी मानव जाति को बचाने की विनती भी की गई।
गौरतलब है कि इस श्री सांवलियाजी मंदिर का निर्माण घांची समाज के प्रत्येक परिवार के तन-मन और धन से हुआ हैं।
यदि मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो तत्कालीन सरपंच हातिम भाई बोहरा के समय मंदिर एवं समाज विकास हेतु यह जमीन प्रदान की गई थी। उस समय घांची समाज के बुद्धिजीवी व्यक्ति श्रीछोगाराम जेठाजी सोलंकी, हिन्दुराम धनाजी सोलंकी, कपूराराम वनाजी सोलंकी, वेनाराम भाणा रामजी सोलंकी, खेमाराम राजारामजी परमार, मगाराम जगारामजी सोलंकी, दलसाराम मनजी राम सोलंकी, हंसाराम राजारामजी सोलंकी, हीराराम वालारामजी सोलंकी, पीथाराम धुडाजी सोलंकी आदि ने तन एवं मन से इस मंदिर की ज़िम्मेदारी उठाई एवं मंदिर निर्माण की नींव रखी थी।
तत्कालीन समय में धन की काफ़ी कमी थी, फिर भी मंदिर निर्माण में समाज के प्रत्येक व्यक्ति के परिवार की हिस्सेदारी को ध्यान में रखते हुए कार्य किया गया। ताकि समाज का प्रत्येक व्यक्ति समानता के भाव के साथ मंदिर में प्रवेश करें। मंदिर निर्माण के शुरुआत से ही सभी की समान हिस्सेदारी, समानता को महत्व दिया गया।
श्री छोगाराम जेठाजी सोलंकी एवं उनकी टीम द्वारा मंदिर निर्माण में धन की कमी के चलते स्वंय नींव खुदाई एवं नींव भरने का कार्य तक समाजहित में निःस्वार्थ किया गया। मंदिर निर्माण के लिए समाजबंधुओं से छोटे-छोटे चंदे के रूप में सहयोग लिया गया ताकि समाज का प्रत्येक परिवार अपना समान सहयोग कर सकें, अपनी हिस्सेदारी महसूस करें एवं मंदिर निर्माण कार्य होता रहें।
मंदिर निर्माण कार्य में स्वर्गीय श्रीछोगाराम जेठारामजी सोलंकी एवं उनकी टीम को काफ़ी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। फिर भी वे श्री सांवलियाजी की इच्छा के अनुरूप कार्य करते रहें। उनकी कामना थी कि मंडार घांची समाज के लिए भगवान श्री साँवलिया जी के मंदिर का निर्माण हो एवं घांची समाज की आने वाली पीढ़ी धर्म, न्याय एवं नैतिकता के रास्ते पर चलें।
गौरतलब है कि श्री छोगाराम जेठारामजी सोलंकी ने अपना पूरा जीवन घांची समाज के हितार्थ, निःस्वार्थ रूप से जिया। आज इस मंदिर का काम-काज घांची समाज के प्रत्येक परिवार के सहयोग से चल रहा हैं।