गांवों का संगी/सिरोही/कोटा।
आजकल ख़ाकी खूब बदनाम हो रही हैं। ख़ाकी शौर्य, स्वाभिमान और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। राजस्थान में पिछले एक वर्ष में ख़ाकी पर खूब दाग धब्बे लगें हैं। वो भी सामान्य नहीं, कभी ख़ाकी परिवादी से ही अस्मत लूटते बदनाम होती है, कभी खाकी अपने ही साथियों को मरवाने में बदनाम होती हैं।
कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि ख़ाकी अपना इकबाल खोती जा रही हैं। जब से ख़ाकी को खादी का संरक्षण मिला है, तब से ख़ाकी खुद अपने आपको खाक कर रही हैं। कभी ख़ाकी वर्दी का मतलब सुरक्षा और विश्वास होता था।
आजकल ख़ाकी अपराधी बन गई है,अब ऐसा लगता है थानों में सेवक नहीं माफिया बैठे हैं। जी हाँ, अब ऐसा ही हो रहा है, आजकल पुलिस आमजन की सेवा, सुरक्षा के प्रति ज्यादा ज़िम्मेदार नहीं हैं।
आजकल वो ख़ादी की खिदमत में और शराब माफियाओं, बजरी माफियाओं और असामाजिक तत्वों की जी हजूरी में ज्यादा मशगूल हैं। यह केवल हम नहीं कह रहे है,
सिरोही-शिवगंज विधायक संयम लोढ़ा ने तो यहाँ तक कह दिया कि सिरोही जिले में 25 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी ख़ाकी वर्दी पहनकर भी तस्करी कैसे हो उसमें सहयोग करते हैं।
उन्होंने तो यह भी कहा कि तस्करों की जड़ें पुलिस मुख्यालय तक हैं। इसका सीधा मतलब है कि कही ना कही ख़ाकी को खादी का संरक्षण हैं। तभी आजकल ख़ाकी शराब, अफ़ीम, डोडा तस्करों से गठबंधन कर रही हैं।
गौरतलब है अभी कुछ दिनों पूर्व ही सिरोही जिले के भारजा के पास भुजेला में आबकारी विभाग की विशेष टीम ने हरियाणा निर्मित शराब पकड़ी थी। जिस पर सिरोही पुलिस एवं सिरोही आबकारी विभाग की खूब फजीहत हुई थी।
सिरोही पुलिस के ही एक कांस्टेबल ने एसपी सिरोही पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जैसे आरोप लग रहे उसके अनुसार सिरोही पुलिस के संरक्षण से ही शराब की तस्करी होती थी।
खैर इस मामलें की जांच जारी है मगर यह तय है कि ईमानदार सेवक पर ख़ाकी और तस्करों का गठबंधन भारी पड़ रहा हैं!
राजस्थान के कोटा में तो एक ऐसे पुलिसकर्मी को बर्खास्त कर दिया गया जिसकों 500 से ज्यादा प्रशस्ति पत्र का सम्मान मिल चुका हैं। गैलेंट्री प्रमोशन तक मिल चुका हैं।
एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी से भिड़ने उसे भ्रष्टाचार में जेल भेजने का ईनाम देखिए क्या मिलता हैं? सीधा बर्खास्त, यह मिली ईमानदारी और आउटस्टैंडिंग रिकॉर्ड का फल।
वही सिरोही के आबूरोड में तो पुलिसकर्मियों को अपने आकाओं के भ्रष्टाचार से भिड़ने पर सस्पेंड किया जा चुका हैं। आरोप लगाया है कांस्टेबल ने की उसने शराब की अवैध खेप पकड़ाई थी, बदले में उसको सस्पेंड का दिया गया।
आखिर सच ही जीतेगा। लेकिन साथ ही एक सवाल पीछे छुटा जा रहा है कि आख़िर ख़ादी क्यों दे रही है ख़ाकी को संरक्षण?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की संवेदनशील सरकार को चाहिए कि वह जाग जाए, भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें। हो सकता है परिणाम जल्द दिख जाए।