सोरडा। अभी तक आपने लकड़ी से बने कोल्हू से सर्दी के मौसम में तिल की पिसाई करा कर तिल के देशी व्यंजन का लुत्फ़ तो जरूर उठाया होगा। साथ ही स्वादिष्ट तिल के तेल का भी स्वाद चखा ही होगा। क्या कभी आपने लकड़ी से बने कोल्हू यानी इस परम्परागत सिस्टम से गन्ने के रस का स्वादिष्ट, स्वाद चखा है? हो सकता है नहीं, लेकिन अब आप इसका आंनद उठा सकते हैं। मंडार से सोरडा जाने पर सोरडा वीर बावसी मंदिर के सामने इस कोल्हू बैल सिस्टम से बढ़िया, स्वादिष्ट गन्ने का रस निकाला जाता हैं। यह देशी सिस्टम बहुत अच्छा है इससे गुणवत्ता वाला गन्ना रस प्राप्त होता हैं। भीलवाड़ा जिले के रहने वाले जगदीश एवं गजानंद इस कोल्हू बैल सिस्टम से गन्ने का रस निकाल कर वाजिब दाम पर बेचते हैं। संचालक जगदीश के अनुसार यह बहुत स्वास्थ्यवर्धक एवं स्वादिष्ट होता हैं।
किसी भी कार्य को करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक व तरीके आ चुके हैं। मगर अब भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गन्ने का रस निकालने के लिए बैल का इस्तेमाल किया जाता है। गन्ने से रस निकालने के इस प्राचीन तरीके के तहत बैल को कोल्हू में जोत दिया जाता है। यह बैल कोल्हू में से गन्ने से रस निकालता है। इस दौरान बैल की आंखें किसी कपड़े से ढक दी जाती है। ऐसा बैल को चक्कर ना आए इसलिए किया जाता है। साथ ही बैल का मुंह भी ढक दिया जाता है, इससे बैल को सीधी सड़क पर चलने का अहसास होता है। इस प्रक्रिया के तहत बैल को महज दो-तीन फीट की रस्सी से बांधा जाता है वह एक निश्चित गोले में ही चलता रहता है। आप देखें किस तरह कोल्हू के बैल से गन्ने में से रस निकाला जाता है। मंडार से सोरडा जाने पर सोरडा वीर बावसी मंदिर के सामने सड़क पर ही यह कोल्हू सिस्टम कार्यरत है जहाँ कोल्हू में बैल लगा हुआ है जो गन्ने में से शानदार,स्वादिष्ट रस निकालता हैं।